For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दबी हर बात जिंदा क्यूँ करें हम (ग़ज़ल)

बह्र -मुफाईलुन मुफाईलुन फ़ऊलुन

तुम्हारा राज़ इफ़शा क्यूँ करें हम|
दबी हर बात जिन्दा क्यूँ करें हम||

न हो जो भाग्य को यारों गवारा,
फिर उसकी ही तमन्ना क्यूँ करें हम||

जगाती दर्द हो जो बात दिल में,
उसी का रोज चर्चा क्यूँ करें हम||

लगा दे आग जो सारे जहाँ में ,
कोई भी ऐसी रचना क्यूँ करें हम||

जिसे करके रहे अफ़सोस मन में,
कोई भी काम ऐसा क्यूँ करें हम||

बहन माँ बेटियाँ तुहफ़ा ख़ुदा का,
उन्ही पे कोई हिंसा क्यूँ करें हम||

बमुश्किल चार दिन की ज़िंदगी में,
महब्बत छोड़ झगड़ा क्यूँ करें हम||

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 858

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on September 20, 2017 at 8:32pm
आद0 अफरोज भाई जी सादर अभिवादन, शुक्रिया आपका ग़ज़ल पसन्द करने के लिए।
Comment by नाथ सोनांचली on September 20, 2017 at 8:31pm
आद0 सुरेंदर इंसान जी ग़ज़ल पर आपकी सुखनवाजी के लिए हृदय से आभार।
Comment by Afroz 'sahr' on September 20, 2017 at 8:23pm
आदरणीय सुरेंद्रजी जी बहुत बधाई आपको ग़ज़ल अच्छी कही आपने !
Comment by surender insan on September 20, 2017 at 8:11pm
वाह बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई सुरेन्द्र जी। बहुत बहुत बधाई हो जी । सादर नमन जी
Comment by नाथ सोनांचली on September 20, 2017 at 7:31am
आद0 समर साहब जी आपका आभार, महब्बत और मुहब्बत में सही शब्द से अवगत कराने के लिए। सादर
Comment by नाथ सोनांचली on September 20, 2017 at 7:29am
आद0 बसन्त कुमार शर्मा जी आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति और मुबारकबाद का शुक्रिया। सादर
Comment by नाथ सोनांचली on September 20, 2017 at 7:27am
आद0 अफरोज जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और मुबारकबाद का शुक्रिया।
Comment by नाथ सोनांचली on September 20, 2017 at 7:26am
आद0 तस्दीक अहमद खान जी सादर अभिवादन, आपकी मुहब्बतों का शुक्रिया।
Comment by नाथ सोनांचली on September 20, 2017 at 7:24am
आद0 मोहम्मद आरिफ भाई आपकी ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन का अतिशय आभार,
Comment by Afroz 'sahr' on September 19, 2017 at 2:39pm
आदरणीय सुरेंद्र जी वाह ख़ूबबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
24 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
24 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
24 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service