For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल--शम अ रोशन करो मुहब्बत की

ग़ज़ल
-----
(फ़ाइलातुन -मफ़ाइलुंन -फेलुंन)

आँधियाँ चल रही हैं नफ़रत की।
शमअ रोशन करो मुहब्बत की।

जिसको तदबीर पर यक़ीन नहीं
बात करता है वह ही किस्मत की।

दुश्मने जान हो गए उमरा
में ने मुफ़लिस की जब हिमायत की।

रहबरी के लिए चुना जिसको
साथ उसने मेरे सियासत की।

होश में आ जा बागबाने चमन
हो गई इब्तदा बग़ावत की।

उनके जलवों से वह नहीं वाकिफ़
बात करते हैं जो कियामत की।

वक़्त तस्दीक़ इम्तहान का है
राह मत छोड़ना सदाक़त की।

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 770

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 22, 2017 at 7:14pm
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और मश्वरे का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Samar kabeer on May 22, 2017 at 3:31pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
तनाफ़ुर का ऐब वहाँ मान्य होता है,जहाँ बचने की कोई सूरत न हो,लेकिन जैसा कि निलेश जी ने मिसरे सुझाये हैं उन्हें दुरुस्त करने में गुरेज़ नहीं करना चाहिये ।
'क़ियामत' ये शब्द मैंने मोबाइल से ही लिखा है,इसी तरह 'वाकिफ़',"वाक़िफ़", आप जब q से लिखेंगे तो नुक़्ते नहीं लगेंगे,और 'k'से लिखेंगे तो नुक़्ते लग जायेंगे,kiyamt',wakif' कोशिश करें ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 21, 2017 at 4:14pm
जनाब ब्रजेश कुमार साहिब, गया,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 21, 2017 at 4:12pm
मुहतरम जनाब गिरिराज भाई साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 21, 2017 at 2:33pm
बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आदरणीय..सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 21, 2017 at 2:01pm

आदरणीय तस्दीक भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है , शे र दर शेर  मुबारकबाद कुबूल कीजिये ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 20, 2017 at 9:22pm
मुहतरम जनाब नीलेश साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया,---आपके मश्वरे का शुक्रिया, आपने जिसका ज़िक्र किया उसे ज़्यादा तर शोरा ऐब नहीं मानते ,हमारी तरफ भी नहीं मानते ,मैं शायरी उर्दू में लिखता हूँ ज़ाहिर है हिंदी टाइप में गलती हो जाती है ,यहां बड़े काफ से कियामत टाइप करता हूँ ,मगर कि के नीचे बड़े काफ का नुक्ता मोबाइल टाइप में नहीं आता है ------
Comment by Gurpreet Singh jammu on May 20, 2017 at 9:15pm
शुक्रिया जनाब
Comment by Gurpreet Singh jammu on May 20, 2017 at 9:15pm
शुक्रिया जनाब
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 20, 2017 at 9:06pm
मुहतरम जनाब लक्ष्मण धामी साहिब,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service