For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" अस्पृश्य" - लघुकथा :अर्पणा शर्मा

मालकिन ने रसोई के एक कोने में रखी थोड़ी पिचकी सी , घिसी थाली, कटोरी , ग्लास और चम्मच उठा,  उसमें खाना सजाया और खाना बनाने वाली को रसोई के बाहर एक कोने में जमीन पर बिठाकर उसके सामने थाली रख दी।

खाना बनाने वाली का आज उस घर में पहला ही दिन था। जल्दी से खाना खाकर जूठे बर्तन सिंक में रख दिये क्योंकि बर्तन मलने वाली भी आती थी।

मालकिन ने देखा तो उसे कड़क शब्दों में निर्देश मिले -
" खाना खाकर अपने बर्तन धोकर वहाँ उस कोने में रखना। दूसरे बर्तनों से छूना नहीं चाहिए ।"

वह हक्की-बक्की सी रह गई । उसके जी में आया कि पलट कर उत्तर दे -
"मालकिन आप लोग मेरे हाथ का बना खाना तो खालेते हैं ना, फिर....???"!
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arpana Sharma on June 8, 2017 at 11:32pm
आदरणीया कल्पना जी - बहुत धन्यवाद आपने ये लघुकथा पसंद कर मेरी हौसला अफजाई की । देरी के लिए क्षमा।
Comment by Mahendra Kumar on June 3, 2017 at 8:27am

क्षमा चाहता हूँ आ. अर्पणा जी. पता नहीं कैसे गलती हो गयी. आगे से ध्यान रखूँगा. सादर.

Comment by Arpana Sharma on June 2, 2017 at 11:21pm
महेन्द्र कुमार जी - बहुत आभार आपकी सराहना का। मेरा नाम अर्पणा है कल्पना नहीं
Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 11:26am

बढ़िया लघुकथा है आदरणीया कल्पना जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 26, 2017 at 10:22pm
बहुत अच्छी लघुकथा हुई है आदरणीया अर्पणा जी । हार्दिक बधाई ।
Comment by Arpana Sharma on April 26, 2017 at 10:01pm
आदरणीया प्रतिभा जी - आपकी सह्रदय सराहना के लिए बहुत शुक्रिया ।
Comment by pratibha pande on April 26, 2017 at 8:36pm

  बहुत अच्छी लघु कथा  कसावट के साथ कही गई   ...ढेरों बधाई प्रिय अर्पणा  जी 

Comment by Arpana Sharma on April 26, 2017 at 5:30pm
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'जी - आपकी सराहना का बहुत आभार ।
Comment by Arpana Sharma on April 26, 2017 at 5:29pm
आदरणीय जनाब समर कबीर साहब जी - आपकी हौसला अफजाई का बहुत शुक्रिया । आपने बिल्कुल सही कहा कि मुझे मंच की अन्य रचनाओं को भी समय देना चाहिए । मैं निश्चय ही मंच की अन्य रचनाओं को पढ़कर अपनी अकिंचन टिप्पणी देने का प्रयास करूँगी ।
Comment by नाथ सोनांचली on April 20, 2017 at 8:46am
आद0 अपर्णा शर्मा जी सादर अभिवादन, उचित कथानक के साथ उम्दा लघुकथा।बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service