For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

न्याय या अन्याय (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

"इंसान अब तो अपने बनाये लैंसों से लैस है, तमाम तरह के कैमरों ने हमारे काम संभाल कर हमें बड़ी ज़िम्मेदारियों से बचा लिया है!" एक आँख ने दूसरी से कहा।


"हमारा हक़ भी तो छीना गया है न! हमारा अपना दायरा कितना सीमित कर दिया गया है, सोचा कभी?" दूसरी आँख बोली।

"सीसीटीवी कैमरों से अधिक हुआ है यह सब!"

"क्योंकि वे इंसानी स्वभाव से मुक्त हैं, जिस कारण वे भावुक नहीं हो सकते। वे इंसानों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा सतर्क रहते हैं, इसलिए पुलिस वालों से भी ज़्यादा भरोसा अब सीसीटीवी कैमरों पर किया जाता है, हम पर नहीं!"

"कोने-कोने पर निगहबान होते हैं ये कैमरे!"

आँखों के बीच की यह बातचीत सुन कान परेशान हो उठे। एक कान बोल ही पड़ा- "कोने-कोने पर कभी हम भी तैनात हुआ करते थे, लोग कहते थे कि दीवारों के भी कान होते हैं!"

"हाँ भाई, अब तो बस यही कहते हैं कि सावधान, आप पर कैमरे की नज़र है!" आँखों ने हँसते हुए कहा।

"लेकिन ये तो दीवार के कानों से भी ख़तरनाक निकले, सब कुछ बेपर्दा फुर्ती से करते हैं वायरल करके! न्याय के पहले अन्याय!" दूसरे कान ने कहा।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 453

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 18, 2017 at 8:07pm
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर इतनी हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ साहब। जैसे लेखकों व पाठकों की हौसला अफ़ज़ाई ही हमें बेहतर लिखने को प्रेरित करती है।
Comment by Mohammed Arif on March 18, 2017 at 6:47pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, शरीर के अंगों का मानकीकरण करके बेहतरीन बात कही आपने । वैसे भी आप आपनी लघुकथाओं में नवीन प्रयोग करते रहते हैं । नव-रचनाधर्मिता और नव प्रयोग ही लघुकथाओं को शिखर पर ले जाएगी । ढेरों मुबारक़बाद ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
4 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service