For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंधकार में सोयी तेरी रूह जगाने आया हूँ

क्या थे कल तुम आज हुए क्या यही बताने आया हूँ |
अंधकार में सोयी तेरी रूह जगाने आया हूँ ||
याद अतीत करो अपना जब तुम तूफान उठाते थे |
सुनकर बस इक तेरी आहट अरिदल हिय थर्राते थे ||1||

पत्थर भी साक्षी हैं तेरे, उन सच्चे बलिदानों के |
मातृभूमि पर मरने वाले, बांका वीर जवानों के ||
पूर्वज मुट्ठी भर थे लेकिन लाखों पर वे भारी थे |
पलभर में दुश्मन नष्ट किये जो बने महामारी थे ||2||

इसी धरा पर कोई बाला अग्नि चिता पर लेटी थी |
वक़्त पड़ा तब शीश कटाने निकली कोई बेटी थी ||
घुट्टी तुम्हें पिलाई जाती,  नित अतीत के बातों की |
फिर भी निद्रा नहीं टूटती! मरे हुए जज्बातों की! ||3||

आज हुआ क्या घबराते क्यों? अब दुष्ट आततायी से |
शूर-वीर तुम भी जन्मे हो! वीर प्रसूता माई से!
जुल्म सितम सहने की तुमने ऐसी आदत क्यों डाली?
जीते सभी लाभ में अपने नीयत सबकी है काली ||4||

देख सदा हित अपना अपना, आपस में बँट जाते हो|
क्यों कुत्तों की भाँति भला दर-दर की ठोकर खाते हो?
भाषा की तिकड़मबाजी से, कुछ ने तुम्हें फँसाया है |
पाखण्डों में उलझे तुम, क्यों झूठ-साँच अपनाया है? ||5||

क्यों अपना इतिहास भूल दूजे  का गाना गाते हो?
जो डाले दो रोटी तुमको, उसके क्यों हो जाते हो?
यही रहा यदि हाल तुम्हारा मुँह किसको दिखलाओगे?
औरों का शासन होगा तुम दास यहाँ कहलाओगे? ||6||

यूँ अपना इतिहास न भूलो वरना बस पछताओगे |
सत्ता शासन के वारिश तुम पिछलग्गू बन जाओगे ||
लहूँ निरर्थक है वह जो  सम्मान न थोड़ा दे पाया |
जीवन बेमतलब है उसका जो केवल खाने आया ||7||

एक कसम खाओ मित्रों मिल वहशी भूत उतारेंगे|
ढोंगी हो या हो पाखंडी चौराहे पर मारेंगे ||
सर पर कफ़न बाँध लो अब तुम देखो! जय की बारी है|
आगे बढ़ बलिदान करो तुम सारी धरा तुम्हारी है ||8||

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 661

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on February 20, 2017 at 6:23am
आदरणीय भाई गिरिराज जी आपकी हौसला अफजाई से बहुत आत्मबल मिलता है, आभार आपका। आपका सुझाव अच्छा है, जैसे कोई उचित शब्द मिलता है, उसे बदल देता हूँ।
Comment by नाथ सोनांचली on February 20, 2017 at 6:21am
आदरणीय भाई आशुतोष मिश्रा जी सादर अभिवादन, आपकी हौसला अफजाई के लिए दिल की गहराईयो से सादर आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 19, 2017 at 9:22pm

आदरनीय सुरेन्द्र नाथ भाई , ओजस्वी, देश भक्ति से ओत प्रोत इस गीत रचना के लिये दिल से बधाइयाँ आपको ।

जज़्बात स्व्यँ बहुत वचन है जज़्बा का -- जज़्बातों सही नही है ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 19, 2017 at 6:33pm
आदरणीय सुरेन्द्र। जी बहुत बढ़िया सनेश देती रचना के लिए हार्दिक बधाई पल भर में दुश्मन नष्ट किये जो बने महामारी थे। इसमें थोडा रुकावट लग रही है ऐसा मुझे लगा दुश्मन पल में नष्ट किये जो बन बैठे महामारी थे क्या ऐसा किया जा सकता है मेरा तर्क गलत भी ही सकता है
Comment by नाथ सोनांचली on February 17, 2017 at 10:23pm
आद0 ब्रजेश कुमार ब्रज जी आपने हौसला अफ़जाई किया, उसके लिए दिल से आभार निवेदित करता हूँ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 17, 2017 at 5:22pm
बहुत ही सुन्दर ओजपूर्ण रचना हुई अदरणीय बहुत ही सुन्दर..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service