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ग़ज़ल :चुनाव के दिन हैं

1212 1122 1212 22

हमें न ख़्वाब दिखाओ चुनाव के दिन हैं,
अभी तो होश में आओ चुनाव के दिन है ।

बला से कोई बने शाह मुल्क में माना,
तुम अपना फ़र्ज़ निभाओ चुनाव के दिन हैं।

ख़ता मुआफ़ उसूलों को आज रहने दो,
अदू से हाथ मिलाओ चुनाव के दिन हैं।

ये इत्तिहाद मुबारक़ हो ओहदों के लिए,
हिसाब और लगाओ चुनाव के दिन हैं।

गुज़िश्ता पाँच बरस का हिसाब पूछेंगे
कहाँ थे आप बताओ चुनाव के दिन हैं।

सहीह आज ये मौका बदल दो सूरते हाल,
कदम कदम ही बढ़ाओ चुनाव के दिन हैं।

जो चल रहे हैं ज़माने में ले के नफ़रत को,
सभी अलम वो जलाओ चुनाव के दिन है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Ravi Shukla on February 15, 2017 at 2:06pm

आदरणीय मिथिलेश जी बहुत बहुत शुक्रिया गजल पर आपकी उपस्थिति से बहुत खुशी हुई । सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 15, 2017 at 11:29am
आदरणीय रवि जी, लाजवाब ग़ज़ल कही है आपने। दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फ़रमायें। सादर
Comment by Ravi Shukla on February 15, 2017 at 10:28am

आदरणीय राम बली जी बहुत बहुत धन्‍यवाद गजल पसंद आई आपको स्‍नेह ऐसे ही बनाये रखें जहां तक मिसरे के बहर में आपकी जिज्ञासा है शायद पहले रुक्‍न को लेकर होगी  तुम अपना में अलिफ वस्‍ल से मिसरा रुक्‍न के अनुसार बांधा है ।

Comment by Ravi Shukla on February 15, 2017 at 10:26am

आदरणीय समर साहब आदाब, सक्रियता बढ़ाने के लिये ताजा और प्रासंगिक गजल सफर के दौरान ही मोबाईल से पोस्‍ट की थी आपकी प्रतिक्रिया पाकर बहुत खुशी हुई । आभार स्‍वीकार करें ।

Comment by Ravi Shukla on February 15, 2017 at 10:25am

आदरणीय मोहम्‍मद आरिफ साहब गजल में शिरकत का तहे दिल से शुक्रिया । सादर

Comment by रामबली गुप्ता on February 14, 2017 at 6:34pm
वाह वाह गुरुदेव बाकमाल ग़ज़ल हुई है। दिल से बधाई लीजिये।
तुम अपना फ़र्ज़ निभाओ चुनाव के दिन हैं।
ये मिसरा बह्र में कैसे है? जिज्ञासा मात्र है।
Comment by Samar kabeer on February 14, 2017 at 6:10pm
जनाब रवि शुक्ल जी अच्छी ग़ज़ल हुई,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Mohammed Arif on February 14, 2017 at 5:40pm
आदरणीय रवि शुक्ला जी आदाब, सचमुच ही चुनावी बयार चल रही है । हर उम्मीदवार मतदताओं को लुभाने में लगा है । निर्णायक तो मतदता ही होते हैं । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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