For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अदृश्य जीत (लघुकथा)

जंगल के अंदर उस खुले स्थान पर जानवरों की भारी भीड़ जमा थी। जंगल के राजा शेर ने कई वर्षों बाद आज फिर खरगोश और कछुए की दौड़ का आयोजन किया था।

 

पिछली बार से कुछ अलग यह दौड़, जानवरों के झुण्ड के बीच में सौ मीटर की पगडंडी में ही संपन्न होनी थी। दोनों प्रतिभागी पगडंडी के एक सिरे पर खड़े हुए थे। दौड़ प्रारंभ होने से पहले कछुए ने खरगोश की तरफ देखा, खरगोश उसे देख कर ऐसे मुस्कुरा दिया, मानों कह रहा हो, "सौ मीटर की दौड़ में मैं सो जाऊँगा क्या?"

 

और कुछ ही क्षणों में दौड़ प्रारंभ हो गयी।

 

खरगोश एक ही फर्लांग में बहुत आगे निकल गया और कछुआ अपनी धीमी चाल के कारण उससे बहुत पीछे रह गया।

 

लगभग पचास मीटर दौड़ने के बाद खरगोश रुक गया, और चुपचाप खड़ा हो गया।

 

कछुआ धीरे-धीरे चलता हुआ, खरगोश तक पहुंचा। खरगोश ने कोई हरकत नहीं की। कछुआ उससे आगे निकल कर सौ मीटर की पगडंडी को भी पार कर गया, लेकिन खरगोश वहीँ खड़ा रहा।

 

कछुए के जीतते ही चारों तरफ शोर मच गया, जंगल के जानवरों ने यह तो नहीं सोचा कि खरगोश क्यों खड़ा रह गया और वे सभी चिल्ला-चिल्ला कर कछुए को बधाई देने लगे।

 

कछुए ने पीछे मुड़ कर खरगोश की तरफ देखा, जो अभी भी पगडंडी के मध्य में ही खड़ा हुआ था। उसे देख खरगोश फिर मुस्कुरा दिया, वह सोच रहा था,

"यह कोई जीवन की दौड़ नहीं है, जिसमें जीतना ज़रूरी हो। खरगोश की वास्तविक गति कछुए के सामने बताई नहीं जाती।"

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 758

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 14, 2016 at 12:26pm

बहुत-बहुत धन्यवाद् आदरणीया नीता कसार जी, लघुकथा के इस प्रयास पर अपनी टिप्पणी द्वारा आपने मुझे प्रोत्साहित किया। सादर,

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 14, 2016 at 12:25pm

सादर धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पांडे जी, रचना के मर्म तक पहुँच कर आपने अपनी टिप्पणी द्वारा मेरा उत्साहवर्धन किया।

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 14, 2016 at 12:25pm

तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय समर कबीर जी साहब, रचना की इस कोशिश पर आपने अपनी टिप्पणी से मेरी हौसला अफज़ाई की। सादर,

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 14, 2016 at 12:25pm

आदरणीय भाई जितेन्द्र पस्टारिया जी, सादर आभार आपका, लघुकथा के इस प्रयास पर टिप्पणी कर आपने मेरा मनोबल बहुत बढाया।

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 14, 2016 at 12:24pm

हृदय से आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी सर, इस रचना को और मुझे आपने अपने आशीर्वाद से नवाज़ा।

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 14, 2016 at 12:23pm

लघुकथा के इस प्रयास पर अपनी उपस्थिति और टिप्पणी के द्वारा मेरे उत्साहवर्धन के लिए सादर धन्यवाद आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी साहब।

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on December 14, 2016 at 12:23pm

रचना पर अपनी टिप्पणी द्वारा मुझे प्रोत्साहित करने हेतु बहुत-बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी

Comment by Nita Kasar on December 13, 2016 at 9:20pm
यह कोई जीवन की दौड़ नहीहै जिसमें जीतना ज़रूरी हो ख़रगोश की वास्तविक गति कछुये के सामने बताई नही जाती ।कथा के जरिये बेहद गंभीर संदेश दिया है आपने बधाई आद०चंद्रेश छतलानी जी ।
Comment by pratibha pande on December 13, 2016 at 8:43am

  जीवन की दौड़ बहुत बड़ी है .....वैसे कछुए और खरगोश दोनों के सन्दर्भ में नए अर्थ खोल रही है आपकी रचना...इसका.; ''अनकहा' बहुत प्रभावित कर रहा है   हार्दिक बधाई आपको  आदरणीय चंद्रेश जी  

Comment by Samar kabeer on December 12, 2016 at 10:42am
जनाब चन्द्रेश जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service