For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - अश्क़ आए तो निगाहों को सज़ा क्या दोगे

2122 1122 1122 22


अश्क आए तो निगाहों को सजा क्या दोगे ।
है पता खूब वफाओं को सिला क्या दोगे।।

खत जो आया था मुहब्बत की निशानी लेकर ।
लोग पूछें तो जमाने को बता क्या दोगे ।

सुन लिया मैंने तेरे प्यार के किस्से सारे ।
टूट जाए जो मेरा दिल तो खता क्या दोगे ।।

मेरी किस्मत ने मुझे जब भी पुकारा होगा ।
मुझको मालूम मेरे घर का पता क्या दोगे ।।

आशियाँ जब भी उजाड़ोगे तो मुश्किल होगी ।
तेरी हस्ती ही नही मुझको हटा क्या दोगे ।।

सो गया रात अधूरी सी कहानी लिखकर ।
चन्द मिसरों के लिए और जफ़ा क्या दोगे ।।

पाक कहते हैं उसे लोग बड़ी है चर्चा ।
साफ़ दामन है नया दाग़ लगा क्या दोगे ।।

लिख रही नाम तेरा रेत पे कब से पगली ।
उसकी आदत है वो जज्बात मिटा क्या दोगे ।।

बाद मुद्दत के हमें इश्क में जीना आया ।
दर्द बढ़ने के सिवा और दुआ क्या दोगे ।।

ऐ मुसाफ़िर तू हवाओं से कहाँ है वाक़िफ़ ।
इन चिरागों को हकीकत में बुझा क्या दोगे ।।

-- नवीन मणि त्रिपाठी
अप्रकाशित और मौलिक

Views: 787

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 2, 2016 at 8:24pm
तहे दिल से आभार आ0 कबीर सर ।
Comment by Samar kabeer on December 2, 2016 at 3:23pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
ग़ज़ल आपकी कुछ और समय चाहती है,कुछ अशआर में आपके ऊला मिसरे सानी से रब्त पैदा नहीं कर पा रहे हैं,कारण ये कि आपकी रदीफ़ बहुवचन है और ऊला मिसरे में एक वचन की बात है,कुछ सुझाव हैं,देखियेगा :-
मतले के सानी मिसरे में 'वफाओं को' की जगह "वफ़ाओं का"कर लीजिये ।
तीसरे शैर का ऊला मिसरा यूँ करें:-
"सुन लिये आपके सब प्यार के क़िस्से मैंने"
चौथे शैर का ऊला मिसरा यूँ करें:-
"मेरी तक़दीर मुझे जब भी पुकारेगी,सुनो"पांचवें शैर का सानी मिसरा यूँ करें:-
"आपकी हस्ती नहीं,मुझको हटा क्या दोगे"आठवें शैर का ऊला मिसरा यूँ करें :-
"रेत पे नाम जो लिखती है तुम्हारा पगली"
आख़री शैर का ऊला मिसरा यूँ कर लें:-
"रौशनी जिनकी मुसाफ़िर को पता बतलाये"
बाक़ी शुभ शुभ
Comment by Naveen Mani Tripathi on December 2, 2016 at 2:28pm
भाई सुरेन्द्र सिंह जी कृपया बह्र में जहाँ भी दोष हो उसे स्पष्ट करने का कष्ट करें जिससे ग़ज़ल में सुधार किया जा सके ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on December 2, 2016 at 2:25pm
आदरणीया अग्रवाल जी किस जगह बह्र में दोष है कृपया स्पष्ट करने का कष्ट करें जिससे सुधार कर सकूं ।
Comment by नाथ सोनांचली on December 2, 2016 at 2:13pm
आद0 नविन मनी त्रिपाठी जी कथ्य तो ठीक है पर शायद गजल बह्र के मुताबिक नहीं है। विद्द्वत जन इसे विस्तार से बताएँगे पर मेरे समझ से गजल बेबह्र हो गयी है। आपके प्रयास के लिए शुभकामना सहित बधाई निवेदित है।
Comment by Nidhi Agrawal on December 2, 2016 at 10:41am

बहुत उम्दा ख़याल है आदरणीय नविन जी .. मुझे रचना बे-बह्र लगी. सुधि जन बताएँगे मेरी सोच सही है या नहीं. कहीं कहीं व्याकरण की भी गलती लगती है ध्यान दीजियेगा 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service