For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो शब्द प्यार के बोल कर देखो ,

दो शब्द प्यार के बोल कर देखो ,
दिल में उतर जाओगे ,
हर कदम पर साथ में पाओगे ,
मगर इसके लिए कुछ करना होगा ,
दो शब्द प्यार के बोलना होगा ,
भूलना होगा वो सब नफरत भरे शब्द ,
भूलने के बाद सोचने की जरुरत नहीं ,
कारण, नफ़रत सोचने के लिए नहीं होती,
सोचने के लिए तो बस प्यार होता हैं ,
मेरी बातो पे विश्वास ना हो तो ,
दो शब्द प्यार के बोल कर देखो ,
दिल में उतर जाओगे,

( राणा जी के सुझाव के अनुसार यह पोस्ट प्रबंधन स्तर से एडिट कर वर्तनी और व्याकरण सम्बंधित त्रुटियों को दूर किया गया है )

Views: 933

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by anupama shrivastava[anu shri] on December 27, 2010 at 6:51pm
nice with good feelings.........

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 10, 2010 at 11:00pm
हर कदम पर साथ में पाओगे ,
मगर इसके लिए कुछ करना होगा ,
दो शब्द प्यार के बोलना होगा ,
भूलना होगा वो सब नफरत भरे शब्द ,

Ravina jee achhi rachna hai, thanks, vartani sambandhi trutiya hai, pl correct it,
Comment by birendra kumar singh on July 8, 2010 at 2:06pm
satyam shivam sundaram
Comment by Pallav Pancholi on June 29, 2010 at 2:11am
अच्छा लिखा है रवीना जी
Comment by satish mapatpuri on June 28, 2010 at 11:18am
भूलना होगा ओ सब नफरत भरे सब्द ,
भूलने के बाद सोचने की जरुरत नहीं ,
कारन नफ़रत सोचने के लिए नहीं होते ,
सोचने के लिए तो बस प्यार होता हैं
रवीना जी, बहुत ही बेहतरीन ख्याल है, बहुत-बहुत बधाई .

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 28, 2010 at 10:51am
रवीना जी आपके विचार बहुत अच्छे हैं मगर भाषा और व्याकरण पर बहुत ज्यादा ध्यान देने कि ज़रुरत है ! राणा जी ने आपकी कविता पर अच्छा काम किया है, आप अपना ब्लॉग एडिट करके वहां संशोधित रचना को कापी-पेस्ट कर दीजिये !
Comment by baban pandey on June 26, 2010 at 6:34am
bahut sahi
"madur vachan hai aushdhi , katuk vachan hai teer......thanks Ravina jii

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on June 25, 2010 at 11:33pm
रवीना जी बहुत सुन्दर विचार हैं...प्रेम कि भाषा ही सबसे शक्तिशाली होती है....नीचे मैंने आपकी टाइपिंग और वर्तनी की त्रुटियों को सही करने का प्रयास किया है..आप यहाँ से कॉपी कर अपना ब्लॉग एडिट कर सकती है.

दो शब्द प्यार के बोल कर देखो ,
दिल में उतर जाओगे ,
हर कदम पर साथ में पाओगे ,
मगर इसके लिए कुछ करना होगा ,
दो शब्द प्यार के बोलना होगा ,
भूलना होगा वो सब नफरत भरे शब्द ,
भूलने के बाद सोचने की जरुरत नहीं ,
कारण, नफ़रत सोचने के लिए नहीं होती,
सोचने के लिए तो बस प्यार होता हैं ,
मेरी बातो पे विश्वास ना हो तो ,
दो शब्द प्यार के बोल कर देखो ,
दिल में उतर जाओगे

_______धन्यवाद
Comment by Rash Bihari Ravi on June 25, 2010 at 7:56pm
दो सब्द प्यार के बोल कर देखो ,
दिल में उतर जाओगे ,
bah kya bat hain

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
17 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service