For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : विकलांग (गणेश जी बागी)

                         ये सरकारी आदेश की प्रति बाबूराम के कार्यालय में पहुँच गयी थी. इस आदेश के अनुसार किसी भी विकलांग को लूला-लंगड़ा, भैंगा-काणा या गूंगा-बहरा आदि कहना दंडनीय अपराध घोषित कर दिया गया था. सरकार ने यह व्यवस्था दी है कि यदि आवश्यक हुआ तो विकलांग के लिए दिव्यांग शब्द का प्रयोग किया जाए. बड़े साहब ने मीटिंग बुला कर उस सरकारी आदेश को न केवल पढ़कर सुनाया था बल्कि सभी को सख्ती से इसे पालन करने की हिदायत भी दी थी. आज कार्यालय जाते समय बाबूराम यह सोचकर बेहद प्रसन्न हो रहा था कि आज से कोई भी उसे ‘लंगड़ा बाबू’ या ‘लंगड़दीन’ कहकर मज़ाक नहीं उड़ायेगा.

कार्यालय में प्रवेश करते ही एक सहकर्मी ने ऊँचे स्वर में आवाज लगायी,
“हैलो मिस्टर दिव्यांग !”
यह सुनते ही कार्यालय ठहाकों से गूंज उठा, बाबूराम को ऐसा महसूस हुआ कि उसकी पोलियो ग्रस्त टांग पर किसी ने जोर से हथौड़ा मार दिया हो.

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 1349

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arpana Sharma on October 13, 2016 at 11:04pm
आदरणीया गणेश बागी जी, आपने तो मेरे मन की व्यथा कह दी । 'दिव्यांग' शब्द भी " Persons with disability" जैसा ही संबोधन है परंतु समाज में किसी शारीरिक अक्षमता से पीड़ित व्यक्ति या तो बेतरह दया के पात्र हैं अथवा मजाक उड़ाने के। दिव्यांग शब्द नहीं था तब भी मजाक बनाने को अन्य संबोधन रहे या गढ़ लिए जाते हैं । मेरा स्वयं का व्यक्तिगत अनुभव है कि विकलांगता व्यक्ति का पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षिक एवं नौकरीपेशा जीवन तहस-नहस कर देती है। आपको अच्छे लोग मिलें तब तो ईश्वर का आशीर्वाद है अन्यथा बुरे से बुरे , एकदम तोड़कर रख देने वाले अनुभव झेलने पड़ते हैं । मेरा लगभग रोज ही ऐसे वाकयों या नजरों से सामना होता है। बहुत हिम्मत और जीवटता लगती है इसका ड़ट कर सामना करने में ।
एक सार्थक लघुकथा के लिये बहुत बधाई एवं साधुवाद।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 13, 2016 at 8:41pm
मेरे दिल की बात आपने कह दी। सादर हार्दिक आभार सहित बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय जी। 'दिव्यांग' जैसे हास्यास्पद उद्बोधन का मैं घोर विरोधी हूँ। अरे ओ लूले, ओ लल्लू, ओ तिरछे, ओ लंगड़दीन से पीड़ित को कष्ट नहीं होता था, जितना कि इस विशेष श्रेणी द्योतक शब्द ने उन्हें पीड़ा पहुंचायी है। विशेष रूप से विद्यार्थी वर्ग में!!!! बच्चे मज़ाक में दिव्यांश, देवांश को भी दिव्यांग कहकर चिढ़ायें, तो क्या हो? आखिर दिव्यांग का ऐसा क्या लाभदायक शाब्दिक अर्थ है,जो यह प्रयोग मात्र का शौक़.करके पब्लिसिटी स्टंट कर देश पर थोपा गया है????????? क्या हिन्दी में कोई और सार्थक शब्द नहीं है, या हिन्दी की सहेली/बहन भाषा में??? हालाँकि यह सच है कि ख़ुदा से न डरने वाले मज़ाक तो किसी भी शब्द के साथ कर सकते हैं केवल मज़े लेने के लिए!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 13, 2016 at 8:09pm

चाहे नाम कुछ भी बदल लो मजाक बनाने वाले कुछ बेवकूफ लोग फिर भी बनायेंगे एक नए मुद्दे पर आपने लघु कथा लिखी है जो सन्देश देने में सफल है |बहुत बहुत बधाई आपको आद० गणेश बागी जी |

Comment by Samar kabeer on October 13, 2016 at 5:54pm
जनाब 'बाग़ी'जी आदाब, मुख़्तसर और कामयाब लघुकथा,बहुत ख़ूब वाह, अच्छा सन्देश दे रही है, अपाहिजों का मज़ाक़ उडाना लोगों की आदत बन गया है, लेकिन अपाहिज के दिल पर क्या गुज़रती है इसका उन्हें अंदाज़ा भी नहीं होता,इस शानदार प्रस्तुति पर तहे दिल से दाद के साथ ढेरों मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
47 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
48 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service