For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब ठहरना न मुनासिब हो तो चलते रहिये(तरही गज़ल)/सतविन्द्र कुमार

बह्र:2122,1122 1122 22

जब ठहरना न मुनासिब हो तो चलते रहिए
साथ चलके भी जमाने को' बदलते रहिए।  

रुत बदलती सी ये तबियत पे ही होती भारी
ठीक होगा यूँ अगर आप भी ढलते रहिये।

आग खामोश करा देती सभी  का जीवन
एक दीपक की' तरह खुद ही तो जलते रहिए।

वक्त आवाज खिलाफत में उठाने का है
जुल्म से दब क्युँ यूँ बस खुद ही में गलते रहिए।

ग़म मिला है तो ख़ुशी भी आ मिलेगी यारो
*हो के मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिये*।

क्या मिला है जो रहे बनके यूँ शज़रे नफरत
बन मुहब्बत भी जरा सा ही तो पलते रहिए।

प्यार को मान लिया जब है खुदा राणा ने
बेवफाई से उसे फिर युँ न छलते रहिए।

मौलिक एवं अप्रकाशित

---------

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on October 11, 2016 at 5:16pm
देवनागरी में उर्दू हिन्दी शब्दकोष मिलते है,इस के लिये जनाब रवि शुक्ल साहिब की मदद लीजिये ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 9, 2016 at 12:38pm
आदरणीय समर कबीर साहब,मैं इस प्रयास को वाजिब वक्त देकर दुरुस्त करने की कोशिश करूँगा।सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 9, 2016 at 12:37pm
आदरणीय सुरेश भाई जी,प्रयास को समय देकर हौंसलाफ़ज़ाई करने के लिए बहुत बहुत आभार।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 9, 2016 at 12:35pm
आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमन!उर्दू के कम ही शब्दों की जानकारी है,इसी कारण यह दिक्कत पेश आती है।क्या ऐसी कोई डिक्शनरी मिल सकती है जो देवनागरी में ही हो और उर्दू-हिंदी शब्दार्थ हों।मुझे उर्दू पढ़नी भी नहीं आती।आपके मार्गदर्शन एवं इस्लाह के लिए तहेदिल शुक्रगुज़ार हूँ।सादर
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 8, 2016 at 3:15pm
आदरणीय सतविंदर भाई जी सुन्दर प्रयास के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by Samar kabeer on October 7, 2016 at 11:48pm
जनाब सतविंद्र कुमार 'राणा' जी आदाब ,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुवा है,बधाई स्वीकार करें, लेकिन यह ग़ज़ल कुछ और समय चाहती है ,मतले के ऊला मिसरे में 'न मुनासिब' सही नहीं है,सही शब्द है "ना मुनासिब"।

दूसरे शैर में 'तबियत' सही नहीं है,सही शब्द है "तबीअत"।

चौथे शैर में 'ख़िलाफ़त' सही नहीं है ,सही शब्द है "मुख़ालिफ़त" ।

"क्या मिला है जो रहे बनके यूँ शज़रे नफरत"

इस मिसरे को यूँ कर लीजिये :-

"क्या मिला है जो रहे बनके यूँ नफ़रत का शजर"

ऐसा इसलिये किया क्यूँकि 'शजर' में यहाँ इज़ाफ़त भली नहीं लगती ।

आपकी इस ग़ज़ल के मिसरों की बंदिश भी बहुत ढीली है,रवानी की कमी है,इस तरफ़ ध्यान दीजिये ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
9 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
11 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं.…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार दोनों ही कुण्डलिया छंद आपने सुन्दर रचे हैं.…"
11 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय हरिओम भाईजी सुंदर सार्थक तीन छंदों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। गली …"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"सिखलाया जाए अगर, बचपन से ही योग। तो  जीवनभर  व्यक्ति  से, दूर  रहेंगे …"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रानुकूल बहुत सुन्दर और सार्थक छंद सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service