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रंग सारे हैं जहाँ हैं तितलियाँ (ग़ज़ल)

बह्र : २१२२ २१२२ २१२

 

रंग सारे हैं जहाँ हैं तितलियाँ

पर न रंगों की दुकाँ हैं तितलियाँ

 

गुनगुनाता है चमन इनके किये

फूल पत्तों की जुबाँ हैं तितलियाँ

 

पंख देखे, रंग देखे, और? बस!

आपने देखी कहाँ हैं तितलियाँ

 

दिल के बच्चे को ज़रा समझाइए

आने वाले कल की माँ हैं तितलियाँ

 

बंद कर आँखों को क्षण भर देखिए

रोशनी का कारवाँ हैं तितलियाँ

 ------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 760

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Comment by जयनित कुमार मेहता on September 17, 2016 at 8:23pm
...आपने देखी कहाँ हैं तितलियाँ!
वाह आदरणीय धर्मेन्द्र जी। दिलकश अशआर से सजी इस ग़ज़ल के लिए आपको अनेक बधाइयाँ।।
Comment by Shyam Narain Verma on September 16, 2016 at 10:26am
"क्या बात है ..... बहुत खूब ... बधाई आप को "

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