For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर आओ गोपाल [ दोहा गीत जन्माष्टमी पर ]

 

हे पार्थ के सारथी, हे जसुमति के लाल

हरने जन की पीर अब , फिर आओ  गोपाल

 

ध्वस्त किया था कंस का ,इक दिन तुमने मान

निडर हो गया कंस अब ,और हुआ बलवान

घूम रहा है ओढ़ कर ,सज्जनता की खाल

हरने जन की पीर अब ,  फिर आओ  गोपाल

 

पाँचाली के चीर का ,किया खूब विस्तार   

नयनों में भर नीर फिर ,तुमको रही पुकार

अंध सभा में ठोकता , दुःशासन फिर  ताल

हरने जन की पीर अब  ,फिर आओ गोपाल

 

अर्जुन का रथ थाम कर ,दिया कर्म सन्देश

पाँसे अब है फेंकता ,शकुनि बदल कर वेश

हरे गेरुए मोहरे , जमी द्यूत  चौपाल

हरने जन की पीर अब   ,फिर आओ गोपाल

 

मौलिक व् अप्रकाशित  

 

    

Views: 1166

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on August 25, 2016 at 6:08pm
मोहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब,बहुत बढ़िया दोहा गीत रचा आपने बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 25, 2016 at 5:48pm

आदरनीया प्रतिभा जी , वाह , क्या बात है , बढ़िया दोहा गीत रचा आपने , हार्दिक बदाइयाँ आपको ।

हरने जन की पीर को  ,फिर आओ गोपाल    ---  पीर को , मुझे लगता है   को की ज़रूरत नही है , इसलिये  , पीर अब  पपढ के देखियेगा ,अगर सही लगे तो?

हरने जन की पीर अब  ,फिर आओ गोपाल  --    

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 25, 2016 at 11:24am

वाह्ह्ह्हह बहुत सुन्दर लिखा बहुत बहुत बधाई प्रिय प्रतिभा जी 

Comment by Manan Kumar singh on August 25, 2016 at 9:01am
बहुत बढ़िया आदरणीया,बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
7 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
15 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
15 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service