For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शब्दों का सैलाब (लघुकथा)/शेख़ शहज़ाद उस्मानी

विद्यालय के स्टाफ-रूम में शिक्षकगण लाल-स्याही की परम्परागत औपचारिक रस्म निभा रहे थे। उत्तर-पुस्तिकायें कई तरह से व्यवस्थित या अव्यवस्थित अपनी बारी की प्रतीक्षा में थीं। निर्धारित समय सीमा में उनको जांचने व मूल्यांकन करने का कार्य सम्पन्न करना था।

मानसिक दबाव सहते शिक्षकों में से एक ने कहा- "ये लाल कलम कब थमेगी?कब थमेगा यह सैलाब?"

दूसरे शिक्षक ने कहा- "शब्दों का मेला है, छल्ले डालो जनाब! आइने हैं बच्चों की ये उत्तर-पुस्तिकायें! जागो और जगाओ जनाब!"

तभी प्राचार्य महोदय वहां आ धमके। शिक्षकों को पुनः ताक़ीद करते हुए बोले- "बातें कम, काम ज़्यादा! निर्धारित पाठ्यक्रम समय पर पूरा करके सभी उत्तर-पुस्तिकायें और सतत मूल्यांकन की सभी उत्तर-पुस्तिकायें जांच कर बारी-बारी से मेरे कक्ष में पहुंचायीं जायें मेरे 'ग्रीन साइन' के लिए। किसी के भी काम में कोई कमी नहीं निकलनी चाहिए।"

इतना कहकर प्राचार्य महोदय जब वहां से चले गए, तो एक शिक्षिका ने धीमे स्वर में कहा- "अपनी तो तक़दीर ही ख़राब, बच्चों और प्राचार्य के बीच पिसते हैं! बस क़लम घिसते हैं। बच्चों को कुछ समझ आये, न आये, औपचारिकतायें समय पर पूरी करते हैं!"

"हाँ, यह तो बस शब्दों का सैलाब है, आया और गया, हमने क्या सिखाया-पढ़ाया और बच्चों ने क्या सीखा, इसका भला कोई हिसाब है!"- यह कहते हुए दूसरे शिक्षक ने उत्तर-पुस्तिकाओं का एक बंडल कसकर बाँधा और झुंझलाकर अलमारी में पटक दिया।

[मौलिक व अप्रकाशित]

Views: 801

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on August 5, 2016 at 3:33pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
25 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service