For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मीत बनाते बस इक अपना दुश्मन सौ खुद मिल जाते है.

२२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ 

मीत बनाते बस इक अपना दुश्मन सौ खुद मिल जाते है

गुल को पाने की चाहत में खारों से तन  छिल जाते हैं

हम तो उसको भाई कहते वो हमको कमजोर बताता

नहीं समझता जब हम अपनी पे आते सब हिल जाते है

बसें चलाते गले लगाते क्या क्या नहीं किया करते हम

पर जिस वक़्त गले मिलते दुश्मन को मौके मिल जाते हैं

हम पूरब के बासी हमको मत तहजीब सिखा उल्फत की

यहाँ जमाने से उल्फत में बदले दिल से दिल जाते हैं

जहरीले कुछ नाग वतन में सरहद से छुप छुप घुस आते

फिर ये इच्छाधारी अपना भेष बदल हिल मिल जाते है

अरे दरिंदों आकाओं से कह दो खौफ नहीं हम खाते

हम तो उस बगिया के गुल जो  खारों पे ही खिल जाते हैं

कितना भी मारों पीटो पर ये कुछ भेद नही खोलेंगे

शैताँ इतनी नफरत भरता लव ही इनके सिल जाते हैं 

मौलिक  व अप्रकाशित 

 

 

 

E34

Views: 601

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 21, 2016 at 4:55pm

आदरणीय अशोक जी रचना पर आपकी प्रतिक्रीय से मैं उत्साहित महसूस कर रहा हूँ ..हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 21, 2016 at 4:55pm

आदरणीय रवि सर ..रचना को आपका अनुमोदन मिला ..मेरे लिए अत्यंत प्रशन्नता का बिषय है .स्नेह बनाए रखें सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 21, 2016 at 4:52pm

आदरणीय समर कबीर सर ..नेट की समस्या के कारण आपके मशविरे पर त्वरित अमल न कर सका .टाईप करते समय न जाने कैसे गलती हो गयी थी ..मैंने सुधार कर लिया है .रचना पर आपकी प्रतिक्रिया और मार्गदर्शन के लिए ह्रदय से आभारे हूँ सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 18, 2016 at 6:34pm

आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी सादर, अच्छी गजल कही है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.आदरणीय समर कबीर साहब ने इशारा किया ही है सातवे शेर के दोनों ही मिसरे जांच लें. सादर.

Comment by Ravi Shukla on July 18, 2016 at 11:07am

आदरणीय आशुतोष जी  अच्‍छी ग़ज़ल हुई है दाद  क़ुबूल करें

 ।

Comment by Samar kabeer on July 16, 2016 at 10:25pm
जनाब डॉ.आशुतोष मिश्रा साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
छटे और सातवें शैर के ऊला मिसरों की तक़्ति चेक कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service