For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सदा सुन के ज़मीं की, चाँद तारे छोड़ आया हूँ (ग़ज़ल)

1222 1222 1222 1222

फ़लक पर के सभी दिलकश नज़ारे छोड़ आया हूँ
सदा सुन के ज़मीं की, चाँद-तारे छोड़ आया हूँ

मैं अपने बोरिये-बिस्तर शहर ले के तो आया, पर
वो पनघट,बाग़,पोखर,खेत...सारे छोड़ आया हूँ

जहाँ अपनी वफ़ा का मुस्कुराता एक गुलशन था
वहीं अश्कों के कुछ तालाब खारे छोड़ आया हूँ

वज़ूद उसका न मिट जाए कहीं दरिया के दलदल में
तड़पती मीन को सागर किनारे छोड़ आया हूँ

पिछड़ जाए न बेटा रेस में, ज्यों गोद से उतरा
उसे हॉस्टल प्रतिस्पर्धा के मारे छोड़ आया हूँ

भगीरथ स्वर्ग में ये सोचकर बस हाथ मलते हैं
मेरी गंगा, तुझे किसके सहारे छोड़ आया हूँ

जली रोटी जो खाई, श्रीमती जी खूब याद आईं
उन्हें मयके बिना सोचे-विचारे छोड़ आया हूँ

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 15, 2016 at 8:16pm

बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय वाह क्या कहने 

Comment by जयनित कुमार मेहता on May 12, 2016 at 7:34pm
आदरणीय अनुज जी,आपकी बात से सहमत हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद।। :-)
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 12, 2016 at 7:31pm
आदरणीय सुशील जी, ग़ज़ल पर उपस्थिति और हौसला आफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आपका।
Comment by Anuj on May 12, 2016 at 3:35pm

जली रोटी जो खाई, श्रीमती जी खूब याद आईं
उन्हें मयके बिना सोचे-विचारे छोड़ आया हूँ

आदरणीय जयनित जी,

इन रोटियों का जयका ही कुछ और है !

Comment by Sushil Sarna on May 12, 2016 at 2:01pm

फ़लक पर के सभी दिलकश नज़ारे छोड़ आया हूँ

सदा सुन के ज़मीं की, चाँद-तारे छोड़ आया हूँ

वाह जयनित जी वाह बहुत ही दिलकश अशआर कहे हैं आपने। इस सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service