For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उस रोज़ हाल मुझसे बताया नहीं गया- ग़ज़ल

221 2121 1221 212
उस रोज़ हाल मुझसे बताया नहीं गया
और उसके बाद रंज छुपाया नहीं गया

जो दर्द से नजात दिला सकता था मुझे
वो लफ़्ज़ अपने होंठों पे लाया नहीं गया

अश्कों की रोशनाई में लम्हे डुबो-डुबो
दिल के वरक़ पे लिक्खा मिटाया नहीं गया

तू तो ग़लत न था ये जहाँ सरगिराँ सही
सर किसलिये बता कि उठाया नहीं गया

इक बोझ मेरे काँधे पे हालात ने रखा
मजबूर इतना था कि गिराया नहीं गया

(रोशनाई- इंक; सरगिराँ- नाखुश)

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1097

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 4, 2016 at 3:24pm

सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय सिज्जू जी | बधाई | 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 4, 2016 at 3:24pm

सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय सिज्जू जी | बधाई | 

Comment by Sushil Sarna on May 3, 2016 at 1:13pm

इक बोझ मेरे काँधे पे हालात ने रखा
मजबूर इतना था कि गिराया नहीं गया

वाह सर वाह .... दिल को छूते अशआर .... दिल को भा गयी आपकी ये दिलकश ग़ज़ल ... हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय शिज्जु शकूर भाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 2, 2016 at 9:54pm
आदरणीय बाग़ीजी आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपकी उपस्थिति हमेशा उत्साहित करती है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 2, 2016 at 9:53pm
जनाब नादिर खान साहब, भाई जयनित मेहता जी ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 2, 2016 at 9:52pm
आदरणीय सौरभ सर रचना को समय देने के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 2, 2016 at 9:51pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय श्याम नारायण जी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 2, 2016 at 9:42pm

//इक बोझ मेरे काँधे पे हालात ने रखा
मजबूर इतना था कि गिराया नहीं गया//

वाह वाह, क्या बात है, यह शेर बहुत ही खुबसूरत लगा, शेष अशआर भी अच्छे लगें, बधाई आदरणीय सिज्जू भाई इस खुबसूरत ग़ज़ल पर.

Comment by जयनित कुमार मेहता on May 2, 2016 at 6:57pm
आ. शिज्जु जी, बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने। आखिरी शेर तो लाजवाब बन पड़ा है। बहुत बधाइयां आपको।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on May 2, 2016 at 6:57pm
आ. शिज्जु जी, बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने। आखिरी शेर तो लाजवाब बन पड़ा है। बहुत बधाइयां आपको।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
14 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service