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शुभ जन्मदिन ओ.बी.ओ.

जन्मदिन फिर से आया है

नए वसंत का हार लिए

कविता, गीत, मुक्तक, ग़ज़ल के

अनुपम सब उपहार लिए.

(2)

कहीं परिचर्चा, कहीं टिप्पणी

कहीं पर मुक्त विचार मिले

यह वह उपवन है जिसमें

शिक्षा का हर फूल खिले.

(3)

मन की भावना व्यक्त करना ही

शब्दों का खेल है

फिर भी देखो विचित्र विचारों का

यहाँ कैसा मेल है.

(4)

यहाँ अग्रज हैं, हैं अनुज भी

कहीं लेखनी साज़ है

मगर मंच पर लेखक-पाठक

सब की एक आवाज़ है.

(5)

नहीं विद्वेष, नहीं अवज्ञा

नहीं कोई व्यवधान यहाँ है

नए-पुराने, चलते-फिरते

सबको मिलता मान यहाँ है.

(6)

नहीं राजनीति, नहीं कटुता

स्वस्थ चिंतन पर ज़ोर यहाँ

है उच्छ्वास, उजास यहाँ है

नए सोच की भोर यहाँ.

(7)

हाथ बढ़ाकर, प्यार लुटाकर

हर अशुभ का दमन करें

जन्मदिन में ओ.बी.ओ. को

आओ हम सब नमन करें.

शरदिंदु/01.04.2016/(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Saurabh Pandey on April 12, 2016 at 4:45pm

आदरणीय शरदिन्दु भाईजी, आपकी शुभकामनाओं से संतृप्त हुआ यह मंच आगे भी इसी तरह कार्यरत रहे .. 

सादर आभार

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 3, 2016 at 4:06pm

आ० दादा  आपको बधाई  सुंदर रचना हेतु . यहाँ तो में  ही अग्रज हूँ और मेरे दो प्यारे अनुज हैं -आ० योगराज जी और भंडारी जी . दोनों का स्नेह मुझे प्राप्त् है और मैं उनसे मार्ग दर्शन प्राप्त करता हूँ . आ० सौरभ जी तो गुरुतुल्य हैं ही .  ओ बी ० ओ  को सातवे जन्मदिन  की भूरि भूरि बधायी . सादर .

Comment by vijay nikore on April 3, 2016 at 3:31pm

इस शुभ अवसर पर आपने बहुत सुन्दर रचना लिखी है। हार्दिक बधाई।

Comment by Rahila on April 2, 2016 at 10:27pm
बहुत बधाई इतनी सुन्दर प्रस्तुति के लिये आद. सर जी!सादर नमन

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