For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मनस पृष्ठ मुझको पढ़ाती नहीं हो- ग़ज़ल

122 122 122 122

निगाहें भला क्यूँ मिलाते नहीं हो।
मनस पृष्ठ मुझको पढ़ाते नहीं हो।।

छिपाते हो तुम राज अपने जिया के।
बताओ मुझे क्यों बताते नहीं हो।।

हैं चेहरे पे क्यों ये उदासी की पर्तें।
भला नूर क्यूँ तुम दिखाते नहीं हो।।

सघन वेदना के जो घन हैं हृदय में।
भला फिर क्यूँ दरिया बहाते नहीं हो।।

मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है।
सिवा इसके तुम मुस्कुराते नहीं हो।।

है 'पंकज'का नाता अगर नीर ही से।
तो नैनों में काहें खिलाते नहीं हो।।

.
मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 728

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on March 14, 2016 at 7:41pm

हार्दिक बधाई आदरणीय पंकज मिश्रा जी! बेहतरीन गज़ल!

मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है।
सिवा इसके तुम मुस्कुराते नहीं हो।।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 14, 2016 at 7:07pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी सर सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 14, 2016 at 7:07pm
आदरणीय समर कबीर सर, सादर प्रणाम। समुचित सुझाव के लिए सादर आभार। इसे जल्दी ही संशोधित करता हूँ।
Comment by Samar kabeer on March 14, 2016 at 6:37pm
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी आदाब,अच्ची ग़ज़ल कही आपने दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
तीसरे शैर का ऊला मिसरा इस तरह कर लें:-
"हैं चेहरे पे क्यों ये उदासी की परतें"
इसी तरह मक़्ते का ऊला मिसरा इस तरह करलें:-
"है'पंकज'का नाता अगर नीर ही से"
अगर आपको उचित लगे तो ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 14, 2016 at 11:23am

आ० पंकज भाई इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई l

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on March 14, 2016 at 10:31am
आदरणीय नरेंद्र सिंह जी सादर धन्यवाद
Comment by narendrasinh chauhan on March 14, 2016 at 10:03am

खूब सुन्दर रचना

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service