For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल की बात ( जानकी बिष्ट वाही )

" माँ ! आप मुझे ज़रा भी प्यार नहीं करती । शौर्य ने उलाहना देते हुए कहा।
" ऐसे क्यों बोला मेरे लाल ?"
" क्योंकि आप हमेशा अबीर,आनिया और मेहुल की तारीफ़ करती रहती हो।" नीली आँखों में नमी तैर आई।
" आप तो मेरे राजकुमार हैं ।" मीता ने शौर्य को गले से लगा लिया ।
"माँ ! आप हमेशा कहती हो अबीर पढ़ने में अच्छा है।आनिया की ड्रॉइंग बहुत अच्छी है। मेहुल तीन बार दूध पीता है।मैं उनके जैसा नहीं हूँ ।गन्दा बच्चा हूँ ना ?
"ऐसी बातें नहीं करते , नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा । आप तो मेरे दिल के टुकड़े हो। " मीता के कलेज़े में दर्द की लहर उठी।
" माँ ! दिल भी टूटता है क्या ?"
" हाँ बेटू ! आपको दुःख होगा तो टूटेगा ना ? मैं आपकी आँखों में आँसू नहीं देख सकती। आपको तो मेरी भी उम्र लग जाये ।"
" माँ ! जब आप मुझसे इतना प्यार करती हो, तो दूसरे बच्चों से मेरी तुलना क्यों करती हो ?"

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 794

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Janki wahie on February 5, 2016 at 3:33pm
तहेदिल से शुक्रिया सखी
Comment by Janki wahie on February 5, 2016 at 3:32pm
सादर आभार आ.मिथिलेश सर जी
Comment by TEJ VEER SINGH on February 5, 2016 at 10:23am

हार्दिक बधाई आदरणीय जानकी जी!बेहतरीन प्रस्तुति!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2016 at 11:04pm

आदरणीया जानकी जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति. लघुकथा अपने कथ्य को प्रेषित करने में सफल है.इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर 

Comment by Samar kabeer on February 4, 2016 at 6:02pm
मोहतरमा जानकी जी आदाब,इस प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें !
Comment by kanta roy on February 4, 2016 at 5:48pm
वाह ! बहुत ही सुंदर सम्प्रेषण हुआ है यहाँ भावों का आदरणीया जानकी जी । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 4, 2016 at 5:27pm
वाह्ह्ह्ह्!नादाँ पर वाज़िब सवाल।
Comment by Rahila on February 4, 2016 at 1:19pm
बहुत आम समस्या जिसके बहुत बुरे परिणाम । बहुत अच्छी रचना प्रिय जानकी दी! बच्चों को बहुत आहत करती है तुलना । बहुत बधाई इस रचना हेतु । सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं हम कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२जब जिये हैं दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं हम कान देते आपके निर्देश हैं…See More
53 minutes ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service