For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सबसे बडा दुख (लघुकथा)

सत्तर वर्षीय राजेश जी के इकलौते बेटे किशोर की मृत्यु पिछले साल एक कार दुर्घटना में हो गयी थी!पत्नी की मृत्यु किशोर की शादी से पहले ही हो चुकी थी! अब परिवार के नाम पर राजेश जी और उनकी जवान पुत्र बधु सीमा थी!वह भी बैंक में कार्यरत थी! जवान किशोर की मौत के सदमे ने दौनों को लगभग मूक बना दिया था!दौनों में से कोई किसी से बात चीत  नहीं करते थे!वश यंत्र वत अपने अपने कार्य करते रहते थे! किशोर की बरसी की रस्म पूरी होते ही राजेश जी ने सीमा को समझाया,"सीमा तुम पढी लिखी, सुंदर, जवान और  कामकाजी महिला हो! तुमको अभी भी कोई अच्छा रिश्ता मिल सकता है!मैं सोचता हूं कि अखबार में इश्तिहार दे दूं"!

"नहीं बाबूजी, आपके मन में ऐसा विचार आया कैसे"!

"बेटी, मुझसे तुम्हारा दुख देखा नहीं जाता"!

"बाबूजी, मेरा दुख क्या आपके दुख से भी बडा है!बाप के कंधे पर जवान बेटे की अर्थी दुनियां का सबसे बडा दुख होता है!हम आपको छोड कर कहीं भी नहीं जायेंगे"!

.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 835

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on January 5, 2016 at 6:45pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी!लघुकथा पर आप जैसे गुणी और प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का आशीर्वाद अपने आप में एक शानदार उपलब्धि है!इसे भविष्य में भी बनाये रखियेगा!दिली शुक्रिया!

Comment by TEJ VEER SINGH on January 5, 2016 at 6:41pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी!लघुकथा पर आपकी सार्थक टिप्पणी मेरे उत्साह बर्धन का एक उत्तम माध्यम है!पुनः आभार!

Comment by TEJ VEER SINGH on January 5, 2016 at 6:38pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी!लघुकथा पर आपकी टिप्पणी मेरी मेहनत का पुरुस्कार है!शुक्रिया!

Comment by Samar kabeer on January 5, 2016 at 5:52pm
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत ख़ूब लिखते हैं आप,ये रचना भी बहुत ख़ूब है,वाक़ई ये सबसे बड़ा दुःख है,इस अनमोल रचना के लिये तहे दिल से बधाई स्वीकार करें"अल्लाह करे ज़ोर-ए-क़लम और ज़ियादा"
Comment by Nita Kasar on January 5, 2016 at 3:10pm
कथा सशक्त होने के साथ सोचने को विवश करती है।पिता के सामने बेटे का जाना बेहद तकलीफ़दायक होता है।बहू को पितातुल्य ससुर के दर्द का अहसास है ये बाते प्रभावित करती है बधाई आपको आद०तेजवीरसिंह जी ।
Comment by Sushil Sarna on January 4, 2016 at 8:17pm

''बाप के कंधे पर जवान बेटे की अर्थी दुनियां का सबसे बडा दुख होता है''
वाह ,आदरणीय तेजवीर सिंह जी वाह।, आपकी कलम से बहुत ही मार्मिक और सारगर्भित लघुकथा का सृजन हुआ है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service