For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुबह से शाम तक बस काम ही काम।घर में सबसे पहले जागना और सबसे बाद में देर रात गए सो पाना।यही मीना की दिनचर्या थी।काम करने में उसे आनंद ही आता था।दो देवरानियां और एक जेठानी।चारों में अकेली शिक्षित और काम भी सबसे ज्यादा मीना ही करती थी।
इस सबके बावज़ूद जेठानी की हृदय चीरती बातें सुननी पड़ती।उसकी कोई भी बात ऐसी न होती जो ताना न हो।कभी उसके पति को, कभी उसके बच्चों को तो कभी उसे ही ओछे स्तर की बात जेठानी गाहे बगाहे बोलती रहती।
पति को उसके द्वारा कहा जाता कि ऐसी बातें वह नहीं सह पाती।पति बस ध्यान न दिया करो कह कर टाल जाता।इससे पति-पत्नी में कटुता बढ़नी शुरू हो गई।
"दिन भर काम और साथ में दुनिया भर के उलाहने।अब नहीं सहन होता।जो कुछ नहीं करता उसी से खरी खोटी सुनो और ख़ुद कोल्हू का बैल बनकर काम में लगे रहो।शिक्षित होना ही अभिशाप बन गया है मेरे लिए।और ये (पति)कुछ समझते ही नहीं।"
ऐसे विचार दिमाग में आते रहते।
मन में एक भयंकर विचार आया,"जीवन से पलायन ही इस नारकीय यातना से छुटकारा है।"
"माँ!आ से आम हाथ पकड़ कर लिखवाओ ना प्लीज़।"
चार साल की बेटी के आग्रह ने उसके मन को पहले थोडा और व्यथित ; फ़िर अपने विचार से विचलित कर दिया।


मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 477

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 11, 2015 at 8:50pm
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया Nita Kasar जी रचना पर उपस्थित होकर उसे सार्थक बनाने के लिए।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 11, 2015 at 8:50pm
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया Nita Kasar जी रचना पर उपस्थित होकर उसे सार्थक बनाने के लिए।
Comment by Nita Kasar on December 10, 2015 at 8:31pm
महिला मन की व्यथा उजागर करती कथा ।बच्चे की सूरत देख सब भूल जाती है उसके मन की उथल पुथल पर ममता बल भारी पड़ जाता जाता है ।बधाई आपको आद०सतविंदर जी ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 10, 2015 at 12:59pm
जी हाँ आदरणीया राहिला जी!वास्तविक घटना से कुछ कुछ प्रेरित है।अवलोकन करने के लिए हार्दिक आभार।
Comment by Rahila on December 10, 2015 at 12:35pm
अच्छी रचना लगी आदरणीय सतविन्दर सर जी! आसपास की रोजमर्रा की घटना जैसी । सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 10, 2015 at 6:51am
समीक्षार्थ सादर प्रेषित

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
yesterday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service