For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये लॉन एक खफ़ा-सी किताब है कोई---(ग़ज़ल)--- मिथिलेश वामनकर

1212 - 1122 - 1212 – 112

 

न ओंस है, न शफक है, न ताब है कोई

ये लॉन एक खफ़ा-सी किताब है कोई

 

झुका झुका सा मुझे देख, सब यही कहते  

वो आदमी तो नहीं मेहराब है कोई

 

हमें ये चीज मुहब्बत है क्या, नहीं मालूम 

चमन नहीं तो ये खानाखराब है कोई

 

तुम्हें ही देख के दिल को सुकूं ये मिलता है

हमारे प्यार का लब्बोलुआब है कोई

 

नज़र-नज़र की अदावत ये आपकी साहिब

पुराना आप से अपना हिसाब है कोई

 

रुमाल धूप की खुर्शीद बाग़ में लाया

यहाँ जमीन पे रोता गुलाब है कोई

 

दरो-दिवार है दहशत में, चीखता आँगन

हमारे घर में ही लगता कसाब है कोई

 

जरा ढुलक जो गए, होश गुम हुआ मेरा

नहीं ये आप के आँसू, शराब है कोई 

 

फिजूल है न कहें और मेरी बातों पे

जरा सा गौर करे जो, जनाब है कोई?

 

कि रेगज़ार नफस के शज़र नहीं फलते

जो शाख पे है वो टूटा सा ख़ाब है कोई

 

वो सिर्फ इसलिए महफ़िल में कुछ नहीं कहते

हर इक सुलूक पे हाज़िर जवाब है कोई

 

 

------------------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
------------------------------------------------------------

Views: 702

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 8, 2015 at 6:11pm
आदरणीय मंसूरी जी, ग़ज़ल के प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
Comment by Abid ali mansoori on November 6, 2015 at 11:21pm

खूबसूरत ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई आपको आदरणीय मिथिलेश जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 6, 2015 at 8:12pm

आदरणीय  मोहन बेगोवाल  सर ग़ज़ल के प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 6, 2015 at 8:10pm

आदरणीय  सतविंदर  जी ग़ज़ल के प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 6, 2015 at 8:09pm

आदरणीय नादिर खान सर आपका अनुमोदन पाकर आश्वस्त हुआ. इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 6, 2015 at 8:07pm

आदरणीय सुशील सरना सर इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 6, 2015 at 8:07pm

आदरणीय रवि जी, ग़ज़ल पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया और मुखर अनुमोदन हेतु आभार. आदरणीय गिरिराज सर की इस्लाह को जस का तस स्वीकार कर लिया है. रुमाल वाले शेर पर आपके मार्गदर्शन पश्चात् पुनर्विचार करता हूँ. आपकी सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार 

Comment by मोहन बेगोवाल on November 6, 2015 at 7:46pm

 आदरणीय मिथिलेश जी, आप जी की बाकमाल ग़जल पर श्री गिरि राज व रवि जी की टिप्पणी बहुत अर्थ भरपूर थी बधाई हो 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 6, 2015 at 6:41pm
बहुत ख़ूब ग़ज़ल बनी है आदरणीय मिथिलेश जी
Comment by नादिर ख़ान on November 6, 2015 at 4:41pm

आदरणीय मिथिलेश जी खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई।   आपके अंदर तो खज़ाना भरा पड़ा है,  हर दिन नए अंदाज़ में नज़र  आते है । बहुत खूब। … 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service