For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" झूठ - लघुकथा "
"देख सुधा लौट आई मेरी बिन्नो।" कहते हुए माँ ने अपनी नवजात पोती को उसकी उसकी गोद में डाल दिया।
"हाँ माँ ये तो सच में पूरी बिन्नो मौसी है।" माँ की ख़ुशी में शामिल होते हुए सुधा ने मुस्करा कर अपनी भाभी सुमन की ओर देखा मानो पूछ रही हो। "बात बनी कि नहीं!"
भाभी को, ख़ुशी से झूमती माँ को एक टक देख अनायास ही उसके सामने भाभी का परेशान चेहरा अतीत में झलकने लगा। "जीजी मेरी समझ में नहीं आ रहा कि मैं माँजी को कैसे ये 'रिपोर्ट' दिखाऊं। वो पहले ही सिर्फ 'पोते' की जिद पर अड़ी है और पोता ना होंने पर ..... ।"
घर में माँ के दबदबे को सुधा अच्छी तरह जानती थी, लेकिन कुछ तो करना ही था आने वाली नवजात को बचाने के लिए।
"सुधा बेटी!" माँ की आवाज से वो वर्तमान में लौट आई। "अगर तूने मुझे अपने 'सपने' के बारे में नहीं बताया होता कि मेरी बिन्नो ही बहु के आँगन में आने वाली है तो मैं तो.....।" सुधा माँ के मुँह पर हाथ रखते हुए मुस्कराकर उनके गले लग गयी और सोचने लगी माँ तुमने ही कहा था न कि अच्छे काम के लिए बोला गया झूठ, झूठ नहीं होता इसीलिए मुझे तुमसे तुम्हारी सबसे प्यारी छोटी बहन के वापिस आने का झूट बोलना पड़ा।
(मौलिक और अप्रकाशित)
'विरेंदर वीर मेहता'

Views: 466

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abid ali mansoori on November 4, 2015 at 8:26pm

सार्थक रचना के लिए वधाई स्वीकारें आदरणीय वीर मिहता जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on November 4, 2015 at 4:59pm

हार्दिक बधाई आदरणीय वीर मेहता जी!अच्छी लघुकथा!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 4, 2015 at 12:38pm
बहुत खूब आदरणीय वीरेन्द्र वीर मेहता जी। मैं पिछली सभी टिप्पणियों से सहमत होते हुए आपकी इस बढ़िया प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक मुबारकबाद प्रेषित करता हूँ।
Comment by Rahila on November 4, 2015 at 12:51am
बेटियों को बेटियों से डर है । कमाल की दुर्भाग्य है । हम बेटी बचाओ आंदोलन चला रहे है, एक बेटी को दूसरी बेटी से बचा रहे है । बहुत बेहतरीन रचना आदरणीय । बहुत बधाई ।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on November 3, 2015 at 11:43pm
सादर भाई मिथिलेश वामनकर जी आप के स्नेहशील शब्दों और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 3, 2015 at 5:24pm

आदरणीय वीरेंदर जी आपकी प्रस्तुति ने झिंझोड़ दिया बिलकुल. अत्यंत प्रभावकारी और अपने मर्म को अभिव्यक्त करने में सफल लघुकथा. आपको  बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
5 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service