For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं आज अपने दिल के ज़ज़्बात भर कहूँगा

फ़ाइलातुन मफ़ऊल फ़ाइलातुन
2212 122 2212 122

मैं आज अपने दिल के ज़ज़्बात भर कहूँगा।
तुम पास आज बैठो मैं बात भर कहूँगा।

तुम मुस्कुराके सुनना, मुझे गुनगुनानें देना।
ग़ज़लों में इस हृदय के हालात भर कहूँगा।

ज़ुल्फ़ों के बादलों से ये चाँद झाँकने दो।
तुम चाँदनी बिखेरो मैं रात भर कहूँगा।।

छलका रही हो मदिरा,मयकदे नज़र से।
मधु रस की सिर्फ इसको बरसात भर कहूँगा।।

बेसुध हुआ हूँ ऐसे जैसे कोई शराबी।
मदिरा ए हुश्न की मैं सौगात भर कहूँगा।।


मौलिक अप्रकाशित

Views: 675

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 15, 2015 at 3:46pm
जी आगे से ध्यान दिया जायेगा

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 15, 2015 at 2:46pm

आदरणीय पंकज जी, इस मंच पर आपसी संबोधनों में 'गुरु' संबोधन वर्जित है. सादर 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 15, 2015 at 2:08pm
सादर प्रणाम् मिथिलेश सर;ये सब आप गुरुजनों की देन है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 15, 2015 at 1:19pm

आदरणीय पंकज जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 3, 2015 at 1:05pm
सादर प्रणाम् आदरणीय गिरिराज सर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 3, 2015 at 1:03pm

आ. पंकज भाई , अच्छी गज़ल हुई है , हार्दिक बधाई आपको !

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on October 1, 2015 at 4:58pm
सादर अभिवादन सुशील सर।
Comment by Sushil Sarna on October 1, 2015 at 4:52pm

मैं आज अपने दिल के ज़ज़्बात भर कहूँगा।
तुम पास आज बैठो मैं बात भर कहूँगा।

वाह रेशमी अहसासों से लबरेज़ वाली इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 30, 2015 at 6:43pm
वो छूट गया संशोधन;निम्नवत् पढ़ें---

छलका रही हो मदिरा,मयखाना ए नज़र से।
मधु रस की सिर्फ इसको बरसात भर कहूँगा।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on September 30, 2015 at 6:39pm
चौथे शेर का पहला मिसरा..?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service