For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेटी अभिमान है / गीत

बेटी से हैं सृष्टि सारी
बेटी से संसार है न्यारी
बेटी घर देहरी फुलवारी
बेटी से मान और गान है ..............
बेटी अभिमान है
देश का सम्मान है

शिक्षा ,पोषक में रही अधूरी
सदियों मर कर जीती आई
बहुत हुआ ये भेदभाव
बहुत हुआ अब अपमान है ...........
बेटी अभिमान है
देश का सम्मान है

धोखा धोखा है जग आशा
बेटी पर ना किया भरोसा
बेटा ही बेटा करते आये
समझा क्या बेटी शान है ...........
बेटी अभिमान है
देश का सम्मान है

कोख में देखो आग लगाई ,
गर्भ में बेटी हुई विदाई
गड़बड़-गड़बड़ खलबल - खलबल
लिंग भेद ने किया नुकसान है .......
बेटी अभिमान है
देश का सम्मान है

अब कोई दुष्कर्म ना होवे
बिटिया जननी कोई ना रोवे
बेटी की सुरक्षा जिम्मेदारी
जन - जन जारी ये फरमान है ........
बेटी अभिमान है
देश का सम्मान है


पुरूषतंत्र अब चेतो जागो ,
बेटी के सब गुण पहचानों
बेटी पढाओ बेटी बचाओ
भारत में बेटी वरदान है .......
बेटी अभिमान है
देश का सम्मान है

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 823

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meenakshi Sukumaran on September 29, 2015 at 1:41pm

behad behad sunder


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 28, 2015 at 10:36am

सुन्दर संदेश देते आपके इस गीत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ , आदरनीया कांता जी ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 25, 2015 at 11:16am
बहुत सुंदर अनुपम कृति आदरणीया Kanta Royजी।मुझे भी लगता है कि आप की छंदमुक्त रचना को आदरणीय मिथिलेश जी ने बहुत लयबद्ध कर दिया है।
आप दोनों को बहुत बहुत बधाई।
Comment by kanta roy on September 25, 2015 at 12:08am
वाह !!! आदरणीय मिथिलेश जी , आपने तो बहुत ही सुंदर बना दिया है । अब ये बिलकुल सुर में आ रही है । शत - शत नमन आपको । मै अभी आपके इस सार्थक सुझाव के तहत इसका संशोधन करती हूँ । सादर
Comment by pratibha pande on September 24, 2015 at 7:19pm

बेटियां नटखट बेटियां /जीवन की बिसात पर /ख़ुशी कीगोटियाँ /   

सच में बहुत प्यारी होती हैं बेटियां , इस प्यारी रचना के लिए ढेरों बधाई लें आप ,आदरणीय कांता जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 24, 2015 at 3:11pm

आदरणीया कांता जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति  हुई है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. प्रस्तुति में शिल्पगत संभानाएं / गुंजाइश बहुत है. जैसे 

बेटी से हैं सृष्टि सारी, बेटी से दुनिया है न्यारी
बेटी है देहरी फुलवारी, बेटी जीवन गान है
बेटी से अभिमान हमारा, भारत का सम्मान है

शिक्षा, पोषण वंचित फिर भी, सदियों मर-मर जीती आई
धोखा ही धोखा जग से पाया, केवल आंसूं पीती आई
बेटा ही बेटा करने वालों, बिटिया घर की शान है
बेटी से अभिमान हमारा, भारत का सम्मान है

लिंग भेद की रीत चलाई, कोख में देखो आग लगाई
हाय हुआ क्या मानवता को, गर्भ में बाबुल करे विदाई.
गड़बड़ खलबल करने वालों,खुद का ही ये नुक्सान है
बेटी से अभिमान हमारा, भारत का सम्मान है

कोई भी दुष्कर्म नहीं हो, बिटिया संग अधर्म नहीं हो
दुष्कर्मी के पक्ष में तेरा देख हृदय अब नर्म नहीं हो
चेतो जागो और पहचानो बेटी तो वरदान है
बेटी से अभिमान हमारा, भारत का सम्मान है

हर बेटी की रक्षा खातिर, जारी ये फरमान है
बेटी से अभिमान हमारा, भारत का सम्मान है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, ख़ूब ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
20 seconds ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service