For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नाम माशूक का तो खूँ से लिखा करते थे(तरही ग़ज़ल 'राज')

चीर चट्टान के सीने को मिला करते थे

तब मुहब्बत में सनम लोग वफ़ा करते थे  

 

काट देता था ज़माना भले ही पर नाजुक 

होंसलों से नई परवाज़ भरा करते थे

 

दिल के ज़ज्बात कबूतर के परों पर लिखकर

प्यार का अपने वो  इजहार किया करते थे

 

कैस फ़रहाद या राँझा कई दीवाने तब   

नाम माशूक का तो खूँ से लिखा करते थे

 

एक हम थे  जो जमाने  की नजर से डरकर

जल्द खुर्शीद के ढलने की दुआ करते थे 

 

आज वो रह गए केवल मेरा सपना बनकर

चाँदनी रात में हम जिनसे मिला करते थे  

 ------------मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 871

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 1, 2015 at 10:28am

आ० भुवन निस्तेज जी ,आपका तहे दिल से आभार |

Comment by भुवन निस्तेज on September 1, 2015 at 9:56am

दिल के ज़ज्बात कबूतर के परों पर लिखकर

प्यार का अपने वो  इजहार किया करते थे

waah kyaa bat hai...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 27, 2015 at 9:45pm

आ०  धर्मेन्द्र जी ,आपकी दाद पाकर मेरा उत्साह दुगुना हो गया दिल से बहुत बहुत आभार आपका |

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on August 27, 2015 at 9:34pm
बहुत ख़ूब आदरणीया राजेश कुमारी जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए दाद कुबूल कीजिए।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 27, 2015 at 10:04am

आ० गिरिराज जी ,आप जैसे ग़ज़लकार से दाद पाना मेरे लिए मायने रखता है बहुत बहुत शुक्रिया आपका ,मेरा लिखना सार्थक हुआ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 27, 2015 at 10:03am

आ० रवि शुक्ला जी,आपका बहुत- बहुत आभार .  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 27, 2015 at 7:38am

क्या बात है , आदरणीया राजेश जी , बहुत खूबसूरत गज़ल कही है , सभी अश आर बेहतरीन हुये हैं । दिली मुबारक बाद कुबोल कीजिये ।

Comment by Ravi Shukla on August 26, 2015 at 2:18pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी सुन्‍दर प्रस्‍तुति के लिये बधाई स्‍वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 25, 2015 at 12:42pm

आ० कांता रॉय जी, आप जैसे संवेदनशील पाठक से दाद पाकर कोई भी रचना स्वतः धन्य हो जाती है मेरे उत्साह में इजाफ़ा करती हुई इस प्रतिक्रिया के लिए बेहद शुक्रगुजार हूँ | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 25, 2015 at 12:40pm

प्रिय प्रतिभा पाण्डेय जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ | 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service