For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत -मेरा देश भारत जवाँ हो रहा है

122122122122
मेरा देश भारत जवाँ हो रहा है
कि बदलाव पल पल यहाँ हो रहा है

नये लोग आये नई बात की है
नये ही विचारों की बरसात की है
बहुत कुछ बदलना,बहुत कुछ है करना
अभी आए हैं बस शुरूआत की है
हम आगे बढ़ेंगे,कदम ना रूकेंगे
सितारों से आगे जहाँ हो रहा है .......

सभी साथ लेकर हम आगे बढ़ेंगे
कि दुर्गम कठिन राह को तोड़ लेंगे
न अब तक हुआ जो वो करके रहेंगे
अगर आप विश्वास हम पर करेंगे
तभी तो हरिक मुश्किलों से लड़ेंगे
नकारात्मक को गुमाँ हो रहा है
मगर अब खुला आसमाँ हो रहा है.....

मेरा देश भारत जवाँ हो रहा है
कि बदलाव पल पल यहाँ हो रहा है ।।

रचना -मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2015 at 5:37am
गिरिराज जी नमस्कार,आपकी टिप्पणी अच्छी लगी ।धन्यवाद
Comment by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2015 at 5:36am
मिथिलेश वामनकर वामनकर ,जी नमस्कार ,आभार व्यक्त करते हैं
Comment by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2015 at 5:35am
Rajesh kumari,जी नमस्कार,आपका आभार
Comment by सूबे सिंह सुजान on August 17, 2015 at 5:35am
अमोद बिन्दौरी । भाई नमस्कार ,शुक्रिया मित्र

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 13, 2015 at 4:11pm

आदरणीय सूबे सिंह भाई , बहुत सुन्दर , मन मे आशा का संचार करता गीत के लिये आपको हार्दिक बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 13, 2015 at 3:37pm

आदरणीय सूबे सिंह सुजान जी बहुत ही सुन्दर गीत हुआ है. आपको इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 13, 2015 at 11:24am

वाह्ह्ह  बहुत बढ़िया गीत लिखा आपने हार्दिक बधाई सूबे सिंह जी |

Comment by amod shrivastav (bindouri) on August 13, 2015 at 10:01am
वहह....सुन्दर बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
4 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service