For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डूबा था पर बाहर आया....

‌‌‌अपनी जान बचा तो पाया,
डूबा था पर बाहर आया।

जब इल्ज़ामों की बारिश थी,
पास नहीं था मेरे साया।

मुझको गैर बताकर उसने,
हाय गजब ये कैसा ढाया।

तन्हाई में खाली दिल ने,
साज़ उठाया नग़मा गाया।

जबसे सच्चाई जानी है,
हर रिश्ते से दिल घबराया।

प्यार भरा दिल तोड़ा जिसने,
मानो उसने मंदिर ढाया।

कुछ मिसरे ये टूटे फूटे,
हैं मेरा सारा सरमाया।

हम 'इमरान' मुहब्बत करके,
कर बैठे हैं जीवन ज़ाया।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 507

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by इमरान खान on August 6, 2015 at 4:40pm

जनाब समर कबीर साहब, आपने अपने इस्लाही कमेंट से नवाज़ा मैं आपका शुक्रगुज़ार हूँ. 'जाया' के बारे अपने जो जानकारी दी उसका इल्म अभी तक मुझे नहीं था.... आखिरी शेर को इस तरह कर रहा हूँ.... 'हमने यार मुहब्बत करके, जीवन को बेकार बनाया'....

नज़रे सानी कीजियेगा...

Comment by इमरान खान on August 6, 2015 at 4:37pm

गिरिराज जी आपको ग़ज़ल पसंद आई शुक्रगुज़ार हूँ में आपका

Comment by इमरान खान on August 6, 2015 at 4:36pm

आपका शुक्रिया जनाब मिथलेश साहब 

Comment by इमरान खान on August 6, 2015 at 4:36pm

बहुत बहुत शुक्रिया शिज्जू साहब 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 27, 2015 at 9:06pm

बेहतरीन जनाब इमरान साहब हर शेर के लिये दाद हाज़िर है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 27, 2015 at 4:27pm

छोटी बहर की इस शानदार  गज़ल के लिए शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं आदरणीय इमरान जी .....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 27, 2015 at 12:53pm

आदरणीय इमरान भाई , छोटी बहर मे क्य खूब गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ गज़ल के लिये ॥

Comment by Samar kabeer on July 27, 2015 at 11:16am
जनाब इमरान ख़ान जी,आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

"कर बैठे हैं जीवन ज़ाया"

इस मिसरे में जो आपने क़ाफ़िया लिया है "ज़ाया" वो सही नहीं है,इस क़ाफ़िये के संभंद में बहना राजेश कुमारी जी की ग़ज़ल "हवा में यूँ तोते उड़ाया न कर" पर विस्तृत चर्चा कर चुका हूँ,कृपया उनकी ग़ज़ल और उसकी टिप्पणियाँ एक बार पढ़ लें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service