For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वफ़ाओं का मेरी सिला दीजिये
हूँ बेहोश मुझको जिला दीजिये


हुआ हूँ मैं गुम इस ज़माने में लेकिन
मुझी को मुझी से मिला दीजिये


कुचलते रहे हैं सदा हर कली को
किसी फूल को अब खिला दीजिये


मिला इस ज़माने में हर कोई खारा
ज़रा अब अमिय भी पिला दीजिये


सज़ा तो बहुत मिल गयी है मुझे अब
वो ख़्वाबों की मंज़िल दिला दीजिये

वफ़ाओं का मेरी सिला दीजिये 
हूँ बेहोश मुझको जिला दीजिये !!

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 448

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 12, 2015 at 10:01pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री सुनील जी..

Comment by shree suneel on July 12, 2015 at 9:46pm
बढ़िया ग़ज़ल हुई आदरणीय. बधाई आपको इस प्रस्तुति पर. सादर.
Comment by विनय कुमार on July 9, 2015 at 7:45pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय परी श्लोक जी.

Comment by Pari M Shlok on July 9, 2015 at 3:11pm
बहुत खुबसूरत गजल

कुचलते रहे हैं सदा हर कली को
किसी फूल को अब खिला दीजिये (वाह )
Comment by विनय कुमार on July 9, 2015 at 12:10am

बहुत बहुत आभार आदरणीय राहुल डांगी जी ..

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 8, 2015 at 11:11pm
बहुत सुन्दर आदरणीय
Comment by विनय कुमार on July 8, 2015 at 10:35pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सुनील प्रसाद जी , इस तरह भी सुन्दर है | सादर .

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on July 8, 2015 at 7:56pm
बहुत खुबसूरत गजल आदरणीय ज़रा इस तरह कहिये "वफाओं को मेरे सिला दीजिये
Comment by विनय कुमार on July 8, 2015 at 4:26pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , सादर धन्यवाद..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 8, 2015 at 3:49pm

बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय विनय जी 

बधाई स्वीकार कीजिये 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service