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(१ )

क्रोध बड़ा उसका जहरीला

 मुखड़ा होता नीला पीला

छेड़ूँ तो दिखलाता दर्प

क्या सखि  साजन

ना सखि सर्प    

(२ )

झूम झूम कर मुझे रिझाता  

अपनी ताकत सदा दिखाता  

प्यार करूँ तो बनता साथी

क्या सखि साजन

ना सखि हाथी  

(३ )

हाय मूढ़ की अजब  कहानी  

काटे तो माँगू ना पानी  

क्रोघ करे तो भागे पिच्छू 

क्या सखि साजन

ना सखि बिच्छू   

(४ )

हर दम पानी पीता रहता

एक जगह पर बैठा रहता

गर्दन छोटी है पेट बड़ा

क्या सखि साजन

ना सखि घड़ा

(५)

सब गुण उसके हैं अनमोल

लगता कितना गोलमटोल

चाहे उसको दिल से दद्दू

क्या सखि साजन

ना सखि कद्दू 

(६ )

पिद्दी होकर ताब दिखाता 

फूँक मारते ही उड़ जाता 

पँहुचे वहीँ जहाँ हो सापड़

क्या सखि साजन 

ना सखि पापड़ 

--------

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 26, 2015 at 8:57pm

लाजवाब! आदरणीया मन आनन्दित हो गया !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 26, 2015 at 2:45pm

बहुत- बहुत धन्यवाद नरेंद्र सिंह जी. 

Comment by narendrasinh chauhan on June 26, 2015 at 12:48pm

खूब सुन्दर रचनाए ,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 26, 2015 at 11:34am

विनय कुमार जी ,आपने कहमुकरियों में हास्य रस का लुत्फ़ उठाया ,मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका .

Comment by विनय कुमार on June 26, 2015 at 12:03am

बहुत सुन्दर और रोचक कहमुकरियाँ , बधाई इस रचना के लिए आदरणीया राजेश कुमारी जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 25, 2015 at 10:50pm

केवल प्रसाद भैय्या ,आपको पढ़कर मजा आया मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से बहुत- बहुत शुक्रिया 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 25, 2015 at 8:25pm

आ0 राजेश'दी जी,  सुंदर व रोचक कहमुकरियो के लिये हार्दिक बधाई. सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 25, 2015 at 7:12pm

आ० निधि अग्रवाल जी, आपको प्रस्तुति पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका |आपका फोटो देख कर हर्ष हो रहा है एक बढ़िया व्यक्तित्व से समृद्ध हैं आप |शुभकामनाएँ.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 25, 2015 at 7:09pm

आ० कांता रॉय जी ,ये कह्मुकरियां आपको आनंद दे गई मेरा लिखना सफल हुआ दिल से आभार आपका |

Comment by Nidhi Agrawal on June 25, 2015 at 12:23pm

:) मस्त है कह्मुकरियाँ आदरणीय राजेश जी 

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