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ग़ज़ल -- ये ज़मीं सारी मेरा घर कह लें ( गिरिराज भंडारी )

2122   1212    22  / 112 

ये ज़मीं सारी मेरा घर कह लें

आप आयें जहाँ से, दर कह लें

 

जो कमाता है, बांटने के लिये 

है तो इंसाँ,  मगर शज़र कह लें

 

जान रखता हूँ मै हथेली पर

दोस्त माना मुझे अगर कह लें

 

सच को सच बोलने की आदत है  

मेरी राहों को पुर ख़तर कह लें

 

आपके दर पे मांगने आया

आप चाहें,  अगर- मगर कह लें

 

दिल के जज़्बात पिरो लाया हूँ

बिन पढ़े आप बे असर कह लें

 

मेरे अहबाब मेरी क़ुव्वत हैं

मेरी ख़ातिर, हैं बाल-- पर कह लें

 

भीड़ मेरी तरफ जो लगती है

अस्ल में है उधर , उधर कह लें

 

मै ने बस आइना दिखाया था

अब ग़लत मुझको उम्र भर कह लें  

 

आग लगती है मेरी बातों से

आप अब से उन्हें शरर कह लें 

****************************** 

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

 

Views: 726

Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 13, 2015 at 3:51pm

आदरणीय आदित्य कुमार भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।

Comment by Aditya Kumar on June 13, 2015 at 3:23pm

मै ने बस आइना दिखाया था

अब ग़लत मुझको उम्र भर कह लें ----  शानदार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 13, 2015 at 2:08pm

आदरणीय विजय भाई , हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 13, 2015 at 2:07pm

आदरणीय विरेन्द्र भाई , सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 13, 2015 at 2:06pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का तहेदिल से शुक्रिया आपका ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 13, 2015 at 1:46pm

आप हैं तरक्की पर,
माने न माने सुन लें।
बहुत बहुत बधाई , बहुत बढ़िया, आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, सादर।

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 13, 2015 at 12:56pm

 आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी... बहुत  अच्छी ग़ज़ल हुयी है जो मन को छू गयी!

विशेष कर ये पंक्तिया  तो लाजवाब है सर......

आपके दर पे मांगने आया 

आप चाहें,  अगर- मगर कह लें

 

दिल के जज़्बात पिरो लाया हूँ

बिन पढ़े आप बे असर कह लें

 

मै ने बस आइना दिखाया था

अब ग़लत मुझको उम्र भर कह लें 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 13, 2015 at 12:44pm
बहुत खूब आदरणीय गिरिराज जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है, दाद कुबूल करें

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