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तरही ग़ज़ल -- " बहुत सलीक़े से रूठा हुआ है यार मेरा " .

१२१२-११२२-१२१२-२२

निग़ाहे नाज़ से देखो, करो शिकार मेरा
तुम आजमाओ सनम दिल ये एक बार मेरा
.
तू आरज़ू है मेरी और तू है प्यार मेरा
तेरी वफ़ा पे है अब जीने का मदार मेरा
.
तेरे शबाब को नज़रों से क्यूँ पिया मैंने
तमाम उम्र न उतरेगा अब ख़ुमार मेरा
.
मुआमलात-ए-जवानी कहे नहीं जाते
न पूछ कौन है हमदम, कहाँ क़रार मेरा
.
वो मुझसे बात तो करता है, पर वो बात नहीं
" बहुत सलीक़े से रूठा हुआ है यार मेरा "
.
वो बदगुमाँ है जो, कमज़र्फ़ मुझको मानता है
फ़लक से ऊँचा है दुनिया में यूँ वक़ार मेरा
.
लो आज ख़्वाबों की नीलामी कर रहा हूँ मैं
बिसाते-दह'र है और आख़िरी क़िमार मेरा
.
शजर से टूट गया, जो हवा के झौंके से
मैं ज़र्द पत्ता हूँ, खुद पर न इख़्तियार मेरा
.
ये शायरी है मेरा शौक़ मेरा इश्क़-ओ-जुनूँ
जहाँ भी सजती है महफ़िल, वहाँ दयार मेरा
.
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by दिनेश कुमार on June 10, 2015 at 10:52am

हौसला अफ़्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ.राहुल जी.

Comment by दिनेश कुमार on June 10, 2015 at 10:52am

हौसला अफ़्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ.वीनस केसरी जी. नवाज़िश.

Comment by दिनेश कुमार on June 10, 2015 at 10:51am

हौसला अफ़्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ. कबीर साहब. नवाज़िश.

Comment by दिनेश कुमार on June 10, 2015 at 10:50am

हौसला अफ़्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ. मनोज कुमार जी.

Comment by दिनेश कुमार on June 10, 2015 at 10:49am

हौसला अफ़्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ. narendrasinh chauhan जी .

Comment by Rahul Dangi Panchal on June 10, 2015 at 8:14am
लाजवाब वाह वाह वाह
Comment by वीनस केसरी on June 10, 2015 at 1:23am

वाह वा दिनेश साहब बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है ...

Comment by Samar kabeer on June 9, 2015 at 11:36pm
जनाब दिनेश कुमार जी,आदाब,भाई कमाल कर दिया ,इतनी मुरस्सा ग़ज़ल,इस मुरस्सा ग़ज़ल के लिये शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by मनोज अहसास on June 9, 2015 at 6:53pm
वाह वाह खूबसूरत
सादर बधाई
Comment by narendrasinh chauhan on June 9, 2015 at 6:50pm

बहोत खूब

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