For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" पापा , आपने अगर मुझे बेटी माना है तो मुझे इस अधिकार से कभी वंचित मत कीजियेगा ", विदा होते समय वो उनसे लिपट कर रो पड़ी थी और वहाँ मौज़ूद लोगों की आँखें नम हो गयी थीं ।
वो अपने एकलौते पुत्र को खो बैठे थे जिसकी नयी नयी शादी हुई थी , और हर उस आवाज़ के सामने चट्टान बन कर खड़े हो गए थे जो उनकी बहू को इस हादसे के लिए दोषी ठहरा रहे थे । फिर उन्होंने बहू को धीरे धीरे सँभाला और उसे अपनी बेटी का दर्ज़ा दे दिया । उसके अपने माता पिता भी संतुष्ट थे कि वो अब उस घर की बेटी बन गयी थी ।
आजीवन उनका ध्यान रखने के बाद उनकी अर्थी को अपना कन्धा देकर वो बेटे का फ़र्ज़ भी निभा गयी ।
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 546

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on May 27, 2015 at 9:27pm

आप की टिप्पणी सर माथे पर आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी | शायद कुछ कमी रह गयी इसमें , बहुत बहुत आभार इंगित करने के लिए.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 27, 2015 at 9:07pm

इस लघुकथा के माध्यम से एक अत्य़ंत संवेदनशील विषय को उठाया गया है.

लेकिन आदरणीय, आपका ’टच’ मिलने से रह गया है. यह लघुकथा तनिक और ट्रीटमेण्ट चाहती थी.


आपकी लघुकथाओं से यदि हमारी अपेक्षाएँ बढ़ गयी हैं, तो इसके ’दोषी’ आप ही हैं.
हार्दिक शुभेच्छाएँ.

Comment by विनय कुमार on May 20, 2015 at 12:56pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 20, 2015 at 12:22am

सुंदर मर्मस्पर्शी लघुकथा ,आदरणीय विनय जी. बहुत-बहुत बधाई आपको

Comment by विनय कुमार on May 19, 2015 at 9:46pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी | शुक्रिया आपके विचार रखने का , आगे प्रयास रहेगा |

Comment by विनय कुमार on May 19, 2015 at 9:44pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी..

Comment by विनय कुमार on May 19, 2015 at 9:43pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी..

Comment by विनय कुमार on May 19, 2015 at 9:43pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी..

Comment by विनय कुमार on May 19, 2015 at 9:42pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय शुभ्रांशु पाण्डेय जी..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 19, 2015 at 9:31pm

प्रस्तुति का कथ्य बहुत मार्मिक है आ० विनय कुमार सिंह जी.... पर अंतिम पंक्ति तक पहुँचते पहुँचते ये एक घटना का विवरण सा प्रतीत होती है, लघु कथा के मानक तत्वों के सापेक्ष इसे अभी कुछ और कसावट चाहिए

प्रयास के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service