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माहौल"
गुप्ता जी की बेटी ने प्रेम विवाह कर लिया। ये खबर आग की तरह पूरे आस पड़ोस मे फैल गयी। गुप्ता जी के नाम और प्रतिष्ठा से जलने वालो को तो मानो मौका मिल गया था। कई रोज़ तक ये खबर लोगो के मनोरंजन का विषय बनी रही, पर इन सबके बावजूद गुप्ता जी के चेहरे पर शिकन तक ना थी उनके चेहरे मे पहले सी मुस्कान देखकर पडोसियों की ख़ुशी खिसियाहट मे बदल गयी थी।
ये खबर जानकर गांव से आए उनके पिता ने बड़ी नाराजगी में अपने बेटे-बहु को ड़ांटते हुए कहा- यह जो हुआ इसका जिम्मेदार तुम्हारे घर का माहौल है जो जवान लड़की को इतनी छूट दी गई!!!!! गुप्ता जी शांत होकर उनकी डांट सुन रहे थे तभी उनकी पत्नी ने मुस्कराते हुए कहा- ' हाँ पिताजी ये हमारे घर का माहौल ही है जिसकी वजह से हमारी बेटी ने हमसे कुछ नहीं छिपाया...उसका जीवनसाथी इतना योग्य और संस्कारवान है कि हमनें उसके इस फैसले पर तुरंत हामी भरी। अगर रिश्तेदारों से सहमति लेते तो दस तरह की बांते सामने आती। वे दोनों खर्चीली और दकियानुसी शादी से बचना चाहते थे इसलिए कोर्ट मैरिज कर लिया..उसने हमें बताया और हमारी स्वीकृति का इंतजार किया..वरना वो घर से भाग भी सकती थी।
यह सब सुनकर वृद्ध पिताजी को अपने बेटे-बहु के घर के माहौल पर फक्र हो रहा था। और उनके चेहरे में भी अपने बेटे जैसे शांति और सुकुन के भाव फैल गए।
(मौलिक एवं अप्रकाशित रचना )
-प्रिया मिश्रा, सतना (म.प्र.)

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Comment by Priya mishra on May 15, 2015 at 4:10pm
यह मेरी दूसरी कथा है इसके पहले मेरी कथा "मान " मंच पर आ चुकी है। धन्यवाद आदरणीय जितेन्द् जी
Comment by Priya mishra on May 15, 2015 at 4:07pm
आपका बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश जी ।
Comment by Priya mishra on May 15, 2015 at 4:05pm
धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी आपको मेरी कथा पसंद आई ये मेरा सौभाग्य है!
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 15, 2015 at 12:16am

बहुत ही सुंदर सन्देश. ऐसी सकारात्मक लघुकथा कम ही पढने को मिलती है. शायद यह आपकी प्रथम रचना है आदरणीया प्रिया जी. बहुत अच्छा लिखा है आपने. लिखते रहिये

शुभकामनायें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2015 at 11:55pm

//लघुकथा संभवतः लाइव महोत्सव के आयोजन के दौरान प्रस्तुत हुई है संभवतः इस कारण मंच के पाठकों की दृष्टि में आने से रह गयी. //

यह संभव है, आदरणीय ,मिथिलेशभाई..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 14, 2015 at 11:45pm

आदरणीया प्रिया जी बहुत ही सुन्दर सन्देश देती इस सशक्त लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई.

आदरणीय सौरभ सर की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलना बड़ी बात है. " संदेश देती ऐसी सक्षम एवं समर्थ कथा" जैसी बेहतरीन टिप्पणी के लिए विशेष बधाई.

आपकी लघुकथा संभवतः लाइव महोत्सव के आयोजन के दौरान प्रस्तुत हुई है संभवतः इस कारण मंच के पाठकों की दृष्टि में आने से रह गयी. साधारणतया आयोजन के दौरान ब्लॉग पोस्ट पर आना बहुत संभव नहीं हो पाता है क्योंकि आयोजन का समय केवल दो दिन का होता है. आयोजन की सहभागिता व्यस्त होने के कारण ब्लॉग हेतु किसी के पास  समय ही नहीं होता. खैर देर से ही सही आपकी बेहतरीन रचना पढने का अवसर तो मिला. इस प्रस्तुति पर पुनः बहुत बहुत बधाई. सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2015 at 11:18pm

इस कथा की सकारात्मक भावदशा और इसकी सुप्रेरित करती अंतर्धारा चकित करती है, आदरणीया प्रियाजी. चकित ये भी कर रही है कि संदेश देती ऐसी सक्षम एवं समर्थ कथा मंच के पाठकों की दृष्टि में आने से कैसे रह गयी ?
आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ
शुभेच्छाएँ

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