For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसान के हालात पर - एक कोशिश

खुशी जो हमने बांटी गम कम तो हुआ

हुए बीमार भार तन का  कम तो हुआ

माँगी जो हमने कीमत मिली हमें दुआ

उनके बजट का भार कुछ कम तो हुआ

मरहूम हो गए दुःख सहे नही गए

उनके सितम का भार कुछ कम तो हुआ

माना कि मेरे मौला है नाराज इस वकत

फक्र जिनपे था भरोसा  कम तो हुआ

मालूम था उन्हें हमसे हैं वो मगर

उनकी नजर में एक ‘मत’ कम तो हुआ

अन्नदाता बार बार कहते है जनाब

भूमि का भागीदार एक कम तो हुआ 

(मौलिक व अप्रकाशित)

मैंने गजल लिखने का प्रयास किया है, क्या है? और कहाँ सुधार की गुंजाईश है, अवश्य चिह्नित करें 

- जवाहर 

Views: 729

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 23, 2015 at 7:39pm

आदरणीय सूबे सिंह सुजन जी आपकी प्रतिक्रिया और सुझाव के लिए हार्दिक आभार!

Comment by सूबे सिंह सुजान on April 17, 2015 at 9:18pm

जवाहर जी, गजल की बहर तो सही नही है। गिरिराज जी बेहतर कह चुके हैं। लेकिन किसान के हालात पर आपके कहने की कोशिश की है यह बहुत अच्छा है।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 17, 2015 at 12:24pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी और डॉ. गोपाल नारायण साहब ... मेरी कोशिश जारी रहेगी आप मार्ग दर्शन करते रहें सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 16, 2015 at 2:00pm

आदरणीय जवाहर भाई , बह्र की बात आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी कह ही चुके हैं , सभी मिसरों का  किसी के मान्य महर में होना ज़रूरी है गज़ल के लिये ।

दूसरी बात ज़रूरी - रदीफ और काफिया  निभाना है 

खुशी जो हमने बांटी गम कम तो हुआ

हुए बीमार भार तन का  कम तो हुआ   ---  आपके मतले मे -- कम तो हुआ  रदीफ है जो पूरा का पूरा  दोहराया जा रहा हिस्सा है , 

लेकिन काफिया कोई नहीं है , बिना काफिया के गज़ल नहीं होती है , जबकि  बिना रदीफ के गजल हो सकती है , रदीफ के पहले का कोई स्वर या व्यंजन के सहित स्वर का मिलना भी ज़रूरी है , जिसे काफिया कहेंगे -- जैसे -  अभी प्रकाशित मेरी ही ग़ज़ल मे  मतला है --

शहर ज़रा सा मुझमें भी तो आया है

यही सोच के गाँव गाँव शर्माया है      ---   इसमे  है रदीफ  है , इससे पहले  , आया , शर्माया  लिया गया है  जिसमें आया  काफिया को निभाया गया है । 

 आदरनीय , प्रयास के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥ आपको '' गज़ल की बातें '' , का अध्ययन ज़रूर  करना चाहिये , अगर गज़ल कहने की तरफ क़दम बढ़ाना चाहते हों तो ॥ 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 16, 2015 at 12:45pm

आ० जवाहर लाल जी

आपकी गजल बह्र  मनाही है . गजलका बह्र में होना अनिवार्य है  आप पहले कुछ आसान बहरों पर लिखें. जैसे-

     बहर का नाम -मुतदारिक मुसद्दस सालिम

                                   २१२  २१२  २१२

        बह्र कानाम - मुतकारिब मुसद्दस सालिम

                                   १२२  १२२  १२२

ध्यान रहे गजल में मात्रा गिनने का  नियम हिन्दी छंदों से थोडा भिन्न हैं . सादर .

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 16, 2015 at 12:36pm

आदरणीय राजू उर्फ़ राजकुमार आहूजा जी आपका वरदहस्त शुरू से मिलता रहा है आगे भी रहेगा यही अपेक्षा करता हूँ ...आपका बहुत बहुत बहुत आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 16, 2015 at 12:35pm

उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय श्री श्याम नारायण वर्मा जी 

Comment by rajkumarahuja on April 16, 2015 at 11:24am

देर आमद - दुरुस्त आमद ! अच्छा प्रयास माननीय,जवाहर लाल सिंह जी , लगे रहिये  परिणाम आयेंगें ! शुभकामनाएं .....

Comment by Shyam Narain Verma on April 16, 2015 at 10:56am
बहुत सुंदर रचना, बधाई आदरणीय
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 16, 2015 at 10:07am

प्रिय अमन कुमार जी, प्रोत्साहन हेतु आपका आभार!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
8 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आ. भाई वृजेश जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। मतले में यदि उन्हें सम्बोधित कर रहे हैं…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , पूरी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें मतले के उला में मुझे भी…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और विस्तार से सुझाव के लिए आभार। इंगित…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service