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अस्थियाँ चटकीं थीं तेरी कलाई की,
मुझसे हाँथ मिलाते हुए.

इसे समझी थी तुम, शायद,
मेरी शरारत, और,
मैं क्या समझा था, मुझे कुछ याद नही.

और अब- जबकि उसके बाद,
तुम आज तक न मिल सकी ,
सोचता हूँ - -

अस्थियों की वो चटक,
क्या एक प्रहेलिका थी
जिसका अर्थ था-
रिश्ते का 'फाइनल कट्'.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 840

Comment

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Comment by shree suneel on April 1, 2015 at 7:35pm
आदरणीय सौरभ पांडे सर, मेरी रचना पर आपकी बहुत हीं महत्वपूर्ण टिप्पणी आई है. निश्चित रूप से मैं आपके दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करूंगा. आपने मेरी रचना पर समय दिया इसके लिए धन्यवाद. आशा है आगे भी आपका मार्ग दर्शन मुझे प्राप्त होता रहेगा. सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 1, 2015 at 6:11pm

खेद है, कि इस रचना पर आदरणीय गोपाल नारायन जी की टिप्पणी के अलावा सारी टिप्पणियाँ भ्रामक हैं. ऐसी टिप्पणियाँ किसी नवोदित को कोई रास्ता नहीं दिखातीं.

अस्थियों के चटकने में और उंगलियों के चटकने में जो स्पष्ट अंतर है, क्या उसकी ओर किसी का ध्यान नहीं गया ?
किसी रचनाकार के प्रथम प्रयास को मिला उत्साहवर्द्धन अधिक विन्दुवत होता यदि उसे तार्किक टिप्पणियों के माध्यम से समझाया जाये.

भाई श्री सुनीलजी आप रचनारत रहें..
शुभेच्छाएँ.

Comment by shree suneel on April 1, 2015 at 1:25pm
आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, प्रस्तुति की सराहना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 1, 2015 at 11:00am
क्या एक प्रहेलिका थी, सुन्दर प्रस्तुति है, बधाई , आदरणीय श्री सुनील जी , सादर।
Comment by shree suneel on April 1, 2015 at 10:09am
आ० जितेन्द्र जी, उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद. सादर
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 1, 2015 at 8:51am

सुंदर प्रस्तुति आदरणीय सुनील जी. हार्दिक बधाई

Comment by shree suneel on April 1, 2015 at 12:40am
बहुत - बहुत धन्यवाद आदरणीय हरि प्रकाश जी इस प्रोत्साहन के लिए. सादर
Comment by Hari Prakash Dubey on March 31, 2015 at 11:33pm

आदरणीय  श्रीयुत  श्री सुनील जी ,सुंदर प्रस्तुति ,बधाई प्रेषित !

Comment by shree suneel on March 31, 2015 at 9:30pm
आदरणीय सुशील सरन सर, आपको पंक्तियाँ अच्छी लगीं, मेरा प्रयास सफल हुआ. सादर.
Comment by Sushil Sarna on March 31, 2015 at 8:50pm

अस्थियों की वो चटक,
क्या एक प्रहेलिका थी
जिसका अर्थ था-
रिश्ते का 'फाइनल कट्'.

बहुत सुंदर प्रस्तुति दी है आपने आदरणीय , हार्दिक बधाई।

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