For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहूं मरहम इसे या खंजरों का वार ही समझूं

१२२२     १२२२     १२२२  १२२२

इशारों को शरारत ही कहूं या प्यार ही समझूं 

कहूं मरहम इसे या खंजरों का वार ही समझूं 

कशिश बातों में तेरी अब अजब सी मुझ को लगती है 

तेरी बातों को बातें ही या फिर इकरार ही समझूं 

वो डर के भेडियों से आज मेरे पास आये हैं 

कहूं हालात इसको या कि मैं ऐतवार ही समझूं 

तेरी नजरों ने कैसी आग सीने में लगाई है 

तुझे कातिल कहूं मैं या इसे उपकार ही समझूं 

पड़े ओंठों पे ताले पलकें उठती और गिरती हैं 

ये मेरी जीत है या इस को अपनी हार ही समझूं 

नहीं खिड़की पे आती आजकल क्या बात है बोलो 

यूं शर्माती हो तुम या मैं इसे इनकार ही समझूं 

है पिघली बर्फ दिल की आँख से आंसू लगे बहने 

सहेजूँ इनको मोती मान या बेकार ही समझूं 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 715

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 27, 2015 at 2:48pm

आदरणीय हरिप्रकाश जी ..आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 27, 2015 at 2:48pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से में उत्साहित हूँ ..स्नेह यूं ही मिलता रही ऐसी कामना के साथ सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 26, 2015 at 9:36am

आदरणीय डॉक्टर आशुतोष मिश्र जी , सुन्दर ग़ज़ल है ,हार्दिक बधाई ! सादर 

इशारों को शरारत ही कहूं या प्यार ही समझूं 

कहूं मरहम इसे या खंजरों का वार ही समझूं ...वाह 

तेरी नजरों ने कैसी आग सीने में लगाई है 

तुझे कातिल कहूं मैं या इसे उपकार ही समझूं ....खूबसूरत 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 25, 2015 at 10:41pm

आदरनीय आशुतोष भाई , बहुत सुन्दर गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

है पिघली बर्फ दिल की आँख से आंसू लगे बहने 

सहेजूँ इनको मोती मान या बेकार ही समझूं ---------- बहुत खूब !! बधाई आदरणीय ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 12:21pm

आदरणीय सोमेश जी ..आपके उत्साहवर्धक शब्दों के लिए  तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 12:21pm

आदरणीय उमेश जी ..आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 12:20pm

आदरणीय कृष्णा जी ..रचना आपको पसंद आयी यह मेरे प्रयास को सार्थकता प्रदान करता है सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 12:19pm

आदरणीय विजय सर..आप से मुझे सदैव हौसला मिलता है ..बस आपका स्नेह यूं ही मिलता रहे इस कामना के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 12:18pm

आदरणीय मिथिलेश जी ..आपकी प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद ..ऐत वार पर शायद गलती है ..आपके परामर्श के अनुरूप फिर से संसोधन करूंगा . आपसे अनुरोध है कोई भी गलती मिले तो आप जरूर बताएं ताकि सुधर किया जा सके ..हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 12:15pm

आदरणीया अंजू जी ..आपसबका प्रोत्साहन बस यूं ही मिलता रहे ..इसी कामना के साथ सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service