For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोकून :हरि प्रकाश दुबे

अपने कोकून को

तोड़ दिया है मैंने अब

जिसमे कैद था, मैं एक वक़्त से

और समेट लिया था अपने आप को

इस काराग्रह में ,एक बंदी की तरह !

निकल आया हूँ बाहर , उड़ने की चाह लिए

अब बस कुछ ही दिनों में, पंख भी निकल आयेंगे

उड़ जाऊंगा दूर गगन में कहीं , इससे पहले की लोग

मुझे फिर से ना उबाल डालें , एक रेशम का धागा बनाने के लिए

और उस धागे से अपनी , सतरंगी साड़ियाँ और धोतियाँ बनाने के लिए !!

 

© हरि प्रकाश दुबे

“मौलिक व अप्रकाशित “

Views: 751

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on March 15, 2015 at 11:40am

आदरणीय गिरिराज भंडारी सर, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से आत्मिक  प्रसन्नता हुई, हार्दिक आभार ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 15, 2015 at 9:27am

वाह ! आदरणीय हरि प्रकाश भी , नये बिम्ब से बढिया बात कही है , हार्दिक बधाई ।

Comment by Hari Prakash Dubey on March 15, 2015 at 8:24am

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, आपकी प्रतिक्रिया से बहुत उत्साह मिला आपका बहुत - बहुत धन्यवाद ! सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 14, 2015 at 9:14pm

आदरणीय हरिप्रकाश भाई जी , सुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई |

Comment by Hari Prakash Dubey on March 14, 2015 at 10:29am

आदरणीय खुर्शीद साहब, रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार, अभिनन्दन ! सादर   ,

Comment by Hari Prakash Dubey on March 14, 2015 at 10:26am

सोमेश भाई ,आपकी शुभकामनाओं के लिए आपका ह्रदय से आभार ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 14, 2015 at 10:22am

भाई कृष्ण मिश्र जी,रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार  !

Comment by Hari Prakash Dubey on March 14, 2015 at 10:18am

आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहब , इस रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार ! सादर 

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:41am

उड़ जाऊंगा दूर गगन में कहीं , इससे पहले की लोग

मुझे फिर से ना उबाल डालें , एक रेशम का धागा बनाने के लिए

और उस धागे से अपनी , सतरंगी साड़ियाँ और धोतियाँ बनाने के लिए !!

 आदरणीय हरिप्रकाश जी ,सादर अभिन्दन इतनी सुन्दर भावाभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई |

Comment by somesh kumar on March 14, 2015 at 8:47am

कोकून से बाहर आने पर बधाई भाई जी ,उम्मीद है कि अपने परों को पा लेने पर आप लम्बी उड़ान भरेंगे और आपके रेशमी मनोभावों में लिपट सारा साहित्य जगत एक विशेष अनुभूति करेगा |

सादर आपका अनुज 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
6 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service