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'मेहमान' 'जान' गोरखपुरी

ना हाथों में कंगन,
न पैरों में पायल,
ना कानो में बाली,
न माथे पे बिंदियाँ
कुदरत ने सजाया है उसे!!

न बनावट,ना सजावट
न दिखावट,ना मिलावट
गाँव की मिट्टी ने सवारा है उसे!!

ये बांकपन ,ये लड़कपन
चंचल अदाओं में भोलापन,
जवानी के चेहरे में हय!....
हँसता हुआ बचपन!!
वख्त ने जैसे....संजोया है उसे!!

उसकी बातें सुनती हैं तितलियाँ
उसीके गीत गाती हैं खामोशियाँ
हँसी पे जिसकी फ़सल लेती है अंगड़ाईयाँ
उसके बगैर,बहारों में है वीरानियाँ..!!
फ़िजाओं..हवाओं...घटाओं...हर किसी से है दोस्ती उसकी
हर एक ने समझा है उसे!!

कितना खुबसूरत,कितना दिलकश
कितना प्यारा है वो अनजान!
जो है मेरी दुनिया में..
आया चन्द दिनों का मेहमान!!
क्या जाने वो......
किसी ने कितना सोचा है उसे!!

‘मौलिक व् अप्रकाशित’
  ‘जान’ गोरखपुरी
   

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Comment

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Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 13, 2015 at 4:10pm

आदरणीय shyam mathpal जी हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 13, 2015 at 4:09pm

भाई ! महर्षि प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत  धन्यवाद!!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 13, 2015 at 4:08pm

सराहना के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय जीतेन्द्र जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 13, 2015 at 7:49am

बहुत सुंदर आदरणीय जान गोरखपुरी जी बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 13, 2015 at 5:39am

आप का 'मेहमान' बड़ा रोचक लगा ....बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 12, 2015 at 9:57pm

कृष्ण मिश्रा जी आपकी यह प्रस्तुति पसंद आयी, बधाई प्रेषित करता हूँ.

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 9:16pm
कुदरत ने सजाया है उसे
वख्त ने जैसे....संजोया है उसे!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति , रोचक, आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी, बधाई, सादर।
Comment by Shyam Mathpal on March 12, 2015 at 8:18pm

Aadarniya Jaan Gorakhpuri,

Woha -- Woha ..... Bahut hi sundar rachna .... Hardik badhai.

Comment by maharshi tripathi on March 12, 2015 at 8:04pm

सुन्दर ,,भावपूर्ण रचना पर आपको हार्दिक बधाई आ.बड़े भाई krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी |

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 12, 2015 at 6:56pm

सुंदर भाव, ख्याल की सुंदर प्रस्तुति. बधाई आदरणीय कृष्णा जी

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