For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"नया रेट"
"जीजी कहाँ हो?" कहती हुयी देवरानी रसोईघर में आ गयी और मुझे बरतन माँजते देख झट बोल पड़ी। "अरे जीजी, क्या हुआ? काम वाली नही आयी।
बस मैं भी शुरू हो गयी। "अरे होना क्या है नीलु। वही मुआ बजट का रोना।" "रसोई के खर्चे,स्कूली फीसे,बिजली-पानी अब सब पर तो बजट का असर पड़ जाता है ना और बच्चो का जेब खर्च अलग से।" नीलु को बात से सहमत देख मैंने अपनी बात जारी रखी। "अब 'इन्होने' तो खर्चा बढ़ाने से मना कर दिया।" "बस सोचा, कामवाली को ही मना कर देती हूँ। टाईम भी पास हो जायेगा और घर का बजट भी........।"
"हाँ ठीक ही तो है जीजी। अच्छा मैं चलूं, बेकार तंग किया आपको।" मेरी बात बीच में ही काटकर नीलु चलने लगी।
"अरे सुन तूने अपना बजट कैसे 'मैनटेन' किया है?" मैंने भी उस पर सवाल दाग दिया।
"अरे जीजी, मुझे इसकी जरूरत नही। मेरे 'ये' बता रहे थे कि उन्होने कल ही आफिस में पार्टियो को अपना 'नया रेट' बता दिया है।" मेरी बात का जबाब में ईट सी मारकर देवरानी जा चुकी थी और मैं अपने हाथो में घुलती 'विम बार' को देखती रह गयी।
'विरेन्दर वीर मेहता' (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 653

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 3, 2015 at 5:57pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी लघु कथा पर अपने अमूल्य विचार रखने के लिए आप का हार्धिक आभार प्रकट करता हूँ .... " वैसे ये सत्य भी है की वर्तमान में महंगाई और भ्रस्टाचार आपस में एक दुसरे से रेस ही लगा रहे है."

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 3, 2015 at 5:53pm

आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी  और सोमेश कुमार जी आप को कथा पसंद आई., धन्यवाद ! कथा पर अपनी प्रतिकिर्या देने के लिए आप सुधिजनो का हार्धिक आभार.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 3, 2015 at 5:48pm

आदरणीय , बढ़िया लघु कथा लगी , आपको बधाइयाँ ।

Comment by maharshi tripathi on March 3, 2015 at 4:56pm

आपकी लघुकथा पर आपको हार्दिक बधाई आ.वीरेंदर जी |

Comment by Hari Prakash Dubey on March 3, 2015 at 2:36pm

आदरणीय वीरेंद्र मेहता जी सुन्दर लघुकथा है ,"उन्होने कल ही आफिस में पार्टियो को अपना 'नया रेट' बता दिया है।" यह पंक्ति ही सारी कथा को बखूबी बयाँ कर रही है , बधाई आपको ! सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 3, 2015 at 11:13am
लखु-कथा अच्छी है, भ्रस्टाचार मंहगाई बढ़ाता है या मंहगाई भ्रस्टाचार , या दोनों एक दूसरे से रेस लगा रहे हैं।
आदरणीय वीरेंद्र मेहता जी बधाई , सादर।
Comment by somesh kumar on March 3, 2015 at 11:03am

सही कहा भाई जी .महंगाई के साथ भ्रस्टाचार अपना नया रेट घोषित कर देता है |शायद जीवन-अनुभव को आप ने प्रतीकों से उभारा है |लघुकथा अच्छी लगी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
13 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service