For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-झील सा शीतल चाँद से सुन्दर लिख्खा है |

झील सा शीतल चाँद से सुन्दर लिख्खा है
हमने जो देखा है मंज़र लिख्खा है

अबजद हव्वज़ का भी जिन को इल्म नहीं
दुनिया ने उन को भी सुख़नवर लिख्खा है

आज उसी पर फूल वफ़ा के खिलते हैं
तुमने जिस धरती को बंजर लिख्खा है

पढ़कर देखो मेरी इन तहरीरों को
तुमको ही उन्वान बनाकर लिख्खा है

कुछ लोगों ने दौर-ए-ख़िज़ाँ के बारे में
कमरे में फूलों को सजाकर लिख्खा है

हमने बग़ावत करके सारी दुनिया से
महरूमी का नाम सिकन्दर लिख्खा है

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1396

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on February 22, 2015 at 4:34pm

वाह वाह जनाब

Comment by दिनेश कुमार on February 21, 2015 at 10:17pm
उच्च कोटि की शायरी है आदरणीय समर कबीर सर जी। हर एक शेर अपने आप में मुकम्मल ग़ज़ल है। वाह वाह वाह
Comment by Samar kabeer on February 21, 2015 at 9:53pm
आली जनाब डा.विजय शंकर जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये बहुत बहुत शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on February 21, 2015 at 9:51pm
जनाब महर्षि त्रिपाठी जी,आदाब,बहुत बहुत शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on February 21, 2015 at 9:48pm
आली जनाब डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब ,हौसला अफ़ज़ाई के लिये बहुत बहुत शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on February 21, 2015 at 9:44pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब अर्ज़ करता हूँ,ज़र्रा नवाज़ी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on February 21, 2015 at 9:40pm
जनाब श्याम नारायण वर्मा जी,आदाब,तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ |
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 21, 2015 at 6:49pm
हमने बग़ावत करके सारी दुनिया से
महरूमी का नाम सिकन्दर लिख्खा है ।
वाह, बहुत सुन्दर, बधाई, आदरणीय समर कबीर जी, सादर।
Comment by maharshi tripathi on February 21, 2015 at 4:35pm

अच्छी गजल पर मेरी बधाई स्वीकार करें आ.समर कबीर जी |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 21, 2015 at 4:28pm

samar kabeer saaheb makte ke liye sau baar salaam . vaah--- kya khoob kahaa hai .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service