For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये "कैसी"... 'होली'...???

 

'हंसी-ठिठोली', मस्तियों की "टोली"... करें 'अठखेली', बन "हमजोली"...

हर 'साल' की तरह... लो फिर आई "होली"... ... ...

लेकर... ... ...

वही 'रंग'... वही 'ढंग'...

वही 'रस्म'... वही 'रिवाज़'...

मगर... ... ...

रंगों में वो 'चमक' नहीं...

ढंगों में वो 'दमक' नहीं...

रस्मों में वो 'विश्वास' नहीं...

रिवाजों में वो 'एहसास' नहीं...

पहले बिक ना पाता था 'प्यार'...

अब उसकी 'बोली' लगती है...

पहले ख़रीदा ना जाता था 'ऐतबार'...

अब उसको 'होली' जलती है...

 

हर 'चौराहे' पर प्रकृति का "हास" हो रहा है...

होलिका 'हंस' रही है, प्रहलाद का "उपहास" हो रहा है...

"मानवता-भाईचारे" का रंग कहीं 'छुप-सा' गया है...

"ईर्ष्या-द्वेष" के रंग से चेहरा उनका 'पुत-सा' गया है...

मिठाइयों की 'मिठास', मन की "कडवाहट" ना भरती...

मदिरा की 'प्यास', ठन्डे चूल्हों में गर्म "आहट" ना करती...

 

गुब्बारों की 'चोट' में वो "स्नेह" नहीं...

पिचकारियों की 'धार' में वो "नेह" नहीं...

फागुन में 'गूंजता' अब "फ़ाग" नहीं...

गीतों में 'घुलता' अब "राग" नहीं...

कैसी मना रहा 'आज' होली ये "संसार" है...???

"एकजुट" जो रहते थे 'कभी'... 'बंट' चुके वो "घर-बार" हैं...!!

 

:::::::: जूली मुलानी ::::::::

Views: 462

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Julie on March 21, 2011 at 9:46pm
तपन जी आभार... :-)
Comment by Tapan Dubey on March 21, 2011 at 2:44pm
बहुत अच्छी रचना के लिए बधाई
Comment by Julie on March 21, 2011 at 3:03am
गोपाल जी आभार... होली की ढेरों शुभकामनायें... :-)
Comment by Julie on March 21, 2011 at 3:02am

शुक्रिया अरुण जी... आपको भी ढेरों शुभकामनायें... :-)

Comment by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on March 21, 2011 at 12:38am

कैसी मना रहा 'आज' होली ये "संसार" है...???

"एकजुट" जो रहते थे 'कभी'... 'बंट' चुके वो "घर-बार" हैं...!!

 

आज की वास्तविकता पर रचित सुन्दर कविता 

होली पर आपको हार्दिक शुभ कामनाएं 

Comment by Abhinav Arun on March 20, 2011 at 6:26pm
अच्छी सामयिक रचना | होली की शुभकामनाये |
Comment by Julie on March 19, 2011 at 8:15pm
राजू जी आपको और आपके समस्त परिवारजनों को भी ढेरों शुभकामनायें... शुक्रिया कविता पसंद करने के लिए...!! :-)
Comment by Raju on March 19, 2011 at 8:11pm
aapko bhi Holi ki hardik badhai .........    bahut badhiya Kavita hai aapki
Comment by Julie on March 19, 2011 at 6:56pm

समस्त OBO परिवार व उनके परिवारजनों को रंगों के उत्सव होली की हार्दिक शुभकामनायें...!!

 

सादर...

जूली... :-)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service