For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संतुष्टि कहाँ है...? (अतुकांत)

धीमी-धीमी सी

हवाओं में

दीपों की टिमटिमाती लौ

दे जाती है

अंतर को भी रोशनी

बे-समय आँधियों ने

कब किया है, रोशन

बस! बुझा दिया

या फूंक दिए है जीवन

उन्ही दीपों से.

अथाह तेज बारिशों ने भी

बहा दिए हैं, जीवन

नदियों के मटमैले

जल से

प्यासा, प्यासा ही रहा

वैसे ही, जैसे

वैशाख-ज्येष्ठ की धूप में

बैठा हो

शुष्क किनारों पर

जीवन को तो

उतनी ही हवा

मिलती रहे

जब तक अंदर

ली हुई..सांसें

बाहर न निकल आयें

प्यासे को भी तो

मिली है, तृप्ति

कल-कल करती

नदियों से

न अल्प

और न ही अधिक

फिर क्यों..?

असंतुष्ट है

समानता ही जीवन है, तो

संतुष्टि कहाँ  है...?

 

         

         जितेन्द्र पस्टारिया

      (मौलिक व् अप्रकाशित)

 

 

Views: 779

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 7, 2015 at 9:49pm

 आदरणीय  जितेन्द्र पस्टारिया जी  बहुत गूढ़ भावो से सजी हुई बेहतरीन रचना. हार्दिक बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 7, 2015 at 8:41pm

आदरणीया राजेश दीदी. अभिव्यक्ति पर आपकी सराहना व् स्नेहिल उत्साहवर्धन हमेशा मन को ख़ुशी और लेखनकर्म को मनोबल देता रहा  है. स्नेह व् आशीर्वाद यूँही बनाए रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 7, 2015 at 8:37pm

आपकी बधाई शिरोधार्य है, आदरणीय बागी जी. रचना पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति और सराहना के लिए हृदयतल से आभारी हूँ, स्नेह बनाए रखियेगा

सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 7, 2015 at 8:07pm

जीवन को तो

उतनी ही हवा

मिलती रहे

जब तक अंदर

ली हुई..सांसें

बाहर न निकल आयें---वाह्ह बहुत सुन्दर गहन पंक्तियाँ ,सबको पता है चादर उतनी लेनी चाहिए जितनी में पैर ढक जाएँ ,किन्तु अमल कौन करता है ..क्यूंकि मन में संतुष्टि ही नहीं है ....बहुत सुन्दर रचना ..हार्दिक बधाई जितेन्द्र भैय्या 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 7, 2015 at 3:01pm

सचमुच अचंभित हूँ, आपकी कलम से निकली इस स्तर की कोई पहली अतुकांत रचना मैं पढ़ रहा हूँ, इस भावाभिव्यक्ति हेतु ढेरों बधाई आदरणीय जितेन्द्र जी.  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 7, 2015 at 1:44pm

आपका आशीर्वाद व् बधाई, सहर्ष स्वीकार है आदरणीय डा.विजय जी.

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 7, 2015 at 1:42pm

रचना पर आपकी उपस्थिति व् सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार, आदरणीय खुर्शीद साहब.

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 7, 2015 at 1:40pm

उत्साहवर्धन हेतु आपका आभार, आदरणीय श्याम नारायण जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 7, 2015 at 1:39pm

आदरणीय गिरिराज जी.रचना की सराहना व् स्नेहिल मार्गदर्शन //संतुष्टता को संतुष्टि करना अच्छा लगेगा// हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ.

सादर!

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 7, 2015 at 12:12pm
जितनी आवश्यकता हो उतना ही चाहिए , यही संतुष्टि बोध है। बहुत सुन्दर विचार , बहुत सुन्दर रचना , बहुत बहुत बधाई प्रिय जीतेन्द्र जी, सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service