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वो कातिल शोख नजरों से पिलाती है दिवाली में

तरही ग़ज़ल 

नयी उम्मीद की किरने जगाती है दिवाली में 

वो नन्ही जान जब दीपक जलाती है दिवाली में 

अगर हो हौसला दिल में तो तय है मात दुश्मन की 

जला के खुद को बाती ये सिखातीहै दिवाली में 

बताशे खील खिलते फूल दीपक झिलमिलाते यूं 

नहीं मुफलिस को यादे गम सताती है दिवाली में 

दियों का नूर चेहरे पर चले बल खा के शरमा के 

वो कातिल शोख नजरों से पिलाती है दिवाली में 

है रुत बहकी, हवा महकी, अजब दिलकश नज़ारा है 

फिज़ाएं नूर की चादर बिछाती हैं दिवाली में 

मुझे अफ़सोस हरदम ही रहा है दोस्तों इसका 

क्यूँ जनता आग पैसों में लगाती है दिवाली में 

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 8, 2015 at 8:05pm

आदरणीया प्रतिभा जी ..आप की प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 8, 2015 at 8:03pm

आदरणीय हरी प्रकाश जी ..आप की उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 8, 2015 at 8:02pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी ,,रचना पअर आपकी उत्साह बढाती प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 7, 2015 at 11:10pm

आदरणीय डा. आशुतोष मिश्रा बहुत ही शानदार रचना

दियों का नूर चेहरे पर चले बल खा के शरमा के

वो कातिल शोख नजरों से पिलाती है दिवाली में ....वाह , हार्दिक बधाई ! सादर

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 7, 2015 at 1:14pm

बहुत खूबसूरत गजल हुई है आदरणीय डा. आशुतोष जी. दिली बधाई कुबूल कीजियेगा

मुझे अफ़सोस हरदम ही रहा है दोस्तों इसका 

क्यूँ जनता आग पैसों में लगाती है दिवाली में ........बहुत सार्थक प्रश्न रख छोड़ा

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 7, 2015 at 12:56pm

आदरणीय सर्वेश जी .रचना आपको पसंद आयेमेरा प्रयास सार्थक हुआ .आपकी उत्साहवर्धन करती इस प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल धन्यवाद सादर  

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 7, 2015 at 12:53pm

आदरणीय विजय सर ..आपका स्नेह बस यूं ही मिलता रहे इसी कामना के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 7, 2015 at 12:52pm

आदरणीय श्याम जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 7, 2015 at 12:51pm

आदरणीय खुर्शीद जी  रचना पर आपकी उर्जा प्रदान करती इस प्रतिक्रिया के लिए दिल से धन्यवाद ,,सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 7, 2015 at 12:50pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..मैं आज जो कुछ भी लिख पा रहा हूँ उसमे आपके स्नेह और उत्साहवर्धन का बिशेष स्थान है ..आपका स्नहे यूं ही मिलता रहे .इसी कामना के साथ सादर 

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