For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“ हे. भगवान..बस! एक पोते की कामना थी,  वो भी पूरी नहीं हो पाई इस बार. तीन-तीन पोतियों की लाइन लग गई ” अपनी बहु के कमरे से बाहर, खले की ओर जाते हुए मन में बडबडा ही रही थी, कि

“ माँ!! मैं बाजार जा रहा हूँ, कुछ लाना हो बता दो ” बेटे ने पूछा

“ हाँ! बेटा.. गुड़ ले आना, वो बूढी गाय न जाने कब जन जाए, अब की बार बछिया ले आये तो आगे भी घर का दूध मिल जाया करेगा “

      जितेन्द्र पस्टारिया

   (मौलिक व् अप्रकाशित)    

Views: 829

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 6, 2015 at 8:15pm

आपकी उत्साहवर्धक सराहना हेतु ह्रदय से आभारी हूँ, आदरणीय गिरिराज जी. स्नेह बनाए रखियेगा

सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 6, 2015 at 6:54pm

लाजवाब , दोहरी मानसिकता को खूब बयान किया है ! दिली बधाइयाँ ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 6, 2015 at 11:59am

आदरणीय सोमेश भाई जी, आपका ह्रदय से आभार. स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 6, 2015 at 11:57am

आदरणीय मिथिलेश जी. आपकी विस्तृत उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया से लेखनी को मनोबल, लघुकथा को सार्थकता का प्रमाण मिला. आपका ह्रदय से आभारी हूँ, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 6, 2015 at 11:54am

आपका बहुत-बहुत आभार, आदरणीय विनय जी.

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 6, 2015 at 11:53am

आदरणीय शरदिंदु जी. आपकी सराहना व् शुभकामनायें सहर्ष स्वीकार हैं, स्नेह बनाये रखियेगा

 सादर!

Comment by somesh kumar on February 6, 2015 at 9:50am

सुंदर लक्ष्यभेदी लघुकथा ,हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2015 at 3:10am

आदरणीय  जितेन्द्र पस्टारिया जी उत्कृष्ट और सफल लघुकथा. मंच पर प्रस्तुत श्रेष्ट लघुकथाओं में से एक. पंच लाइन अपना कमाल पूरे प्रभाव से दिखाती है. इतने कम शब्दों में मूल भाव का तड़ाक से उभर आना ही इस लघुकथा को सफल बनाता है. इस लघुकथा के लिए हृदय से बधाई स्वीकारें. एक एक शब्द जड़ा हुआ और हर वाक्य गठा हुआ. 

Comment by विनय कुमार on February 6, 2015 at 2:26am

सुन्दर लघुकथा आदरणीय जीतेन्द्र पस्तारिआ जी , बधाई..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on February 6, 2015 at 1:52am
आदरणीय जितेंद्र जी, बहुत अच्छी लगी गुरु भावों से संपृक्त आपकी यह लघुकथा. शुभकामनाएँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service