For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘अजी सुनते हो ---

‘हाँ सुनाओ, ‘

‘वह मिसेज मल्होत्रा की बहू, जिसके फरवरी में बेटा हुआ था I वह बेटा निमोनिया से मर गया और हमारी जो महरिन है इसकी ननद के भी लल्ला हुआ था, वह भी तीन दिन पहले डायरिया से मर गया और अपनी बेटी की सहेली -----‘

‘--- उसका बच्चा भी मर गया होगा I’

‘हां बिलकुल ---- ‘

‘मगर यह स्टैटिक्स तुम मुझे क्यों बता रही हो ?’

‘किसे बताऊँ, एक वह अपनी पोती है I छह महीने की हो गयी, उसे जुकाम तक न हुआ I’

(मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 817

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 28, 2015 at 8:14pm

लक्ष्मण धामी जी

आपका आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 27, 2015 at 11:07am

आ० भाई गोपाल नारायण जी , यह लघुकथा तमाम आधुनिक सुविधाओं के बावजूद हमारी पिछड़ी सोच पर करारा प्रहार करती है और बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती है . इस अनमोल रचना के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 26, 2015 at 7:21pm

जीतू भाई

आपके प्रोत्साहन का शुक्र्गुजार हूँ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 26, 2015 at 7:20pm

आ० खुर्शीद जी

आपका बहुत बहुत आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 26, 2015 at 7:19pm

आदरणीय सुनीता दोहरे जी

सादर आभार i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 6:55pm

बहुत महीन व् बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती लघुकथा. बधाई व् गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें, आदरणीय डा. गोपाल जी

Comment by khursheed khairadi on January 26, 2015 at 2:50pm

आदरणीय गोपाल नारायण सर , रचना भारतीय जनमानस का बहुत पुरातन रूप प्रस्तुत करने में पूरी तरह से सफल रही है ,वर्तमान में कन्या के प्रति निष्ठुरता कुछ कम हुई है |इस मार्मिक लघुकथा   की हृदयतल से प्रशंसा के साथ सादर अभिनन्दन |

Comment by sunita dohare on January 26, 2015 at 2:47pm

नारी ही नारी की दुश्मन है समाज मे व्याप्त इस कटु सत्य से अवगत कराती हुई ये लघुकथा मेरे मन में हलचल कर गयी ! अंतिम शब्दो में आकर एका एक कथा का मन पर चोट करना ही पाठक को झकझोर जाता है। सादर प्रणाम !!!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 26, 2015 at 12:49pm

आदरणीय हरि प्रकाश जी

आपकी  संस्तुति से मुझे आत्मतोष  हुआ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 26, 2015 at 12:47pm

आदरणीया कांता रॉय जी

आपका  आभार  i सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
2 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
22 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service