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महिला पार्षद (लघुकथा) :कान्ता राॅय

हर जगह चुनावी माहौल, पार्षद के चुनाव में जाने कहाँ-कहाँ से कुकुरमुत्ते की तरह  नई नई पार्टियां दिखाई देने लगी । जिन्होंने कभी घर से बाहर कदम नहीं निकाले वे स्त्रियां भी गले में माला डाले गली गली घूम रही है । जाने कौन कौन से कोटे के तहत चुनाव लड रही है । बात करने गई तो मालूम हुआ बात करने में नेताईन को पसीना भी आता है ।
"जीत जायेंगी तो कैसे संभालेंगी इतनी जिम्मेदारी ।"
पूछने पर हँसते हुए कहती है ,  
"अरे, मै कहाँ यह सब तो हमारे "वो" ही संभालेंगे । बस मुझे आप लोग जीतवा देना । "


कान्ता राॅय 

(मौलिक और अप्रकाशित)

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 25, 2015 at 4:49pm

बढिया.. बहुत खूब !


पूछने पर हँसते हुए कहती है , इस पंक्ति को न भी लिखें,  फिरभी, लघुकथा अपना काम कर रही है.
प्रस्तुति हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ, आदरणीया
सादर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2015 at 11:56pm

स्वागत है आदरणीया कांता रॉय जी.

Comment by kanta roy on January 22, 2015 at 11:43pm
बहुत बहुत आभार आपको आ.इंजी.गणेश "बागी "जी मेरा हौसला बढाने के लिए । आपका यह मार्गदर्शन बेहद महत्वपूर्ण है मेरे लिए ।
धन्यवाद

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 22, 2015 at 11:32pm

आदरणीया कांता जी, आप द्वारा एक अच्छी लघुकथा प्रस्तुत की गयी है जिसके लिए आप बधाई की पात्र हैं, हाँ एक बात कहना चाहूँगा, लघुकथा की अंतिम पक्ति निरर्थक है, लघुकथा उसके बगैर भी स्वयम में पूर्ण है. सादर .

Comment by kanta roy on January 22, 2015 at 11:18pm
बहुत बहुत आभार आ. अर्चना तिवारी जी आपको । मेरा हौसला बढाने के लिए शुक्रिया
Comment by विनय कुमार on January 22, 2015 at 10:10pm

बढ़िया लघुकथा के लिए बधाई आदरणीया कांता रॉय जी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 22, 2015 at 9:00pm

आदरणीया कांता जी, इस रचना के पूर्व आपके द्वारा विभिन्न रचनाओं और डिस्कसन मंच पर की गई संतुलित टिप्पणियों के बाद से ही आपकी रचना की प्रतीक्षा कर रहा था. जैसी उम्मीद थी वैसी ही सधी हुई और सशक्त रचना आपने प्रस्तुत की है. पुनः बधाई 

Comment by kanta roy on January 22, 2015 at 8:44pm
बहुत बहुत आभार आ.हरि प्रकाश दुबे जी ।मेरा हौसला बढाने के लिए शुक्रिया ।
Comment by kanta roy on January 22, 2015 at 8:43pm
बहुत बहुत आभार जितेन्द्र पस्टारिया जी मेरा हौसला बढाने के लिए ।
Comment by kanta roy on January 22, 2015 at 8:41pm
बहुत बहुत आभार आपको आ.मिथिलेश वामनकर जी मेरा हौसला बढाने के लिए । मेरी ओ बी ओ में यह पहली रचना थी इसलिए जरा घबराई हुई सी थी लेकिन आप सबके प्रोत्साहन से मेरी रचनाशीलता को यहाँ नया आयाम मिलेगा यह उम्मीद करती हूँ । सादर

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