For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर-फिर पुलकें उम्मीदों में (नवगीत) // --सौरभ

फिर-फिर पुलकें उम्मीदों में
कुम्हलाये-से दिन !

सूरज अनमन अगर पड़ा था..
जानो--
दिन कैसे तारी थे..
फिर से मौसम खुला-खुला है..
चलो, गये जो दिन भारी थे..


सजी धरा
भर किरन माँग में
धूल नहीं किन-किन !

नुक्कड़ पर फिर
खुले आम

इक ’गली’

’चौक’ से मिलने आयी
अखबारों की बहस बहक कर
खिड़की-पर्दे सिलने आयी

चाय सुड़कती अदरक वाली
चर्चा हुई कठिन.. .

हालत क्या थी
कठुआए थे
मरुआया तन माघ-पूसता  
कुनमुन करते उन पिल्लों का
जीवन तक था प्राण चूसता !

वहीं पसर अब उस कुतिया ने
चैन लिये हैं बिन... .

पंचांगों में उत्तर ढूँढें,
किन्तु, पता क्या,
कहाँ लिखा क्या ?
’हर-हर गंगे’ के नारों में
सबकुछ नीचे बहा दिखा क्या ?


फिरभी तिल-गुड़ के छूने को
सिक्कों में मत गिन.
*************
--सौरभ
(मौलिक और अप्रकाशित)


Views: 768

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on January 8, 2015 at 4:07pm

अदरक वाली चाय ,कुतिया को पिल्लों के लिए ठंड की परवाह ना करते हुए खुले में उनको स्तन-पान करने के लिए लेट जाना ,और संक्रांति की गुड़-तिल की परम्परा को निभाने की आवश्कता ,नवगीत निश्चय ही सजीव हो उठा |

Comment by Shyam Narain Verma on January 8, 2015 at 3:44pm
बहुत सुंदर नवगीत...बहुत-बहुत बधाई
Comment by khursheed khairadi on January 8, 2015 at 3:02pm

नुक्कड़ पर फिर 
खुले आम

इक ’गली’

’चौक’ से मिलने आयी

 
अखबारों की बहस बहक कर 
खिड़की-पर्दे सिलने आयी 

आदरणीय सौरभ सर , मानवीयकरण की उत्कृष्ट बानगी है |सुन्दर नवगीत के लिए हृदयतल से बधाई |सादर अभिनन्दन |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service