For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वागत नववर्ष : दोहे

चौदह अब इतिहास है, पंद्रह से है आस.
समय सलौना कब रुका, क्षण भर अपने पास.
 
पल बीता तो कल हुआ, कल बीता तो मास.
पल पल गुजरे साल के, हर पल कल की आस,
 
खुशियाँ कितनी दे गया, गुजर गया जो साल.
जाते जाते कर गया, धरती को कुछ लाल.
 
बाँट रही खुशियाँ किरण, स्वागत है नववर्ष.
समय देव के नेह से, भर भर झोली हर्ष.
 
कल तक जो जन साथ थे, आज नहीं कुछ साथ.
परिवर्तन के दौर में, अपने खींचे हाथ.
 
काल चक्र चलता रहे, निशि दिन आठों याम.
सूर्य चन्द्रमा चल रहे, रुकने का क्या काम.
 
चलते रहना जिन्दगी, रुक जाना है मौत,
एक साथ रहती नहीं, मौत जिन्दगी सौत.
**हरिवल्लभ शर्मा
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1433

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by somesh kumar on December 22, 2014 at 11:15pm

ऐसी लेखनी को मन से करूं प्रणाम 

पढ़ के दोहभाव को मिलता है विश्राम 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 22, 2014 at 8:26pm

आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा सर आपकी दोहावली आखिर तक बाँधे रखती है वाह क्या लाजवाब प्रस्तुति है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by harivallabh sharma on December 22, 2014 at 5:42pm

आदरणीय  गोपाल नारायन श्रीवास्तव साहब बहुत सुन्दर दोहों से अभिभूत कर दिया आपने..वास्तव में हर सुह्रद इंसान के यही भाव होंगे...इतने ही सुन्दर नववर्ष की कल्पना की है..अच्छे दिनों की बाट जोहते नए वर्ष का स्वागत...हार्दिक आभार आपने अपना स्नेह दोहों के माध्यम से आलोड़ित किया ..सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 22, 2014 at 3:04pm
खुशियाँ कितनी दे गया, गुजर गया जो साल.
जाते जाते कर गया, धरती को कुछ लाल
विभु से मांगो मित्र तुम      अब ऐसा वरदान
नय वर्ष में शांत हो         मानव मन  शैतान
हो न धरा अब लाल फिर   महके मनस प्रसून
किसीअबोध अजान का     नाहक बहे न खून
सबके जीवन में खुशी           छा जाए भरपूर
अच्छे  दिन ज्यादा नहीं       भारत से अब दूर
कवि गाओ वह गीत अब जिससे सदा विकास
तन में हो उत्साह् प्रिय        मन में हो उल्लास
आपस में सद्भाव हो         सभी बने मन-मीत
ओज भरे स्वर में कवे !   महकाओ कुछ गीत 
Comment by harivallabh sharma on December 22, 2014 at 1:46pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आपकी स्नेहिल टीप का ह्रदय से आभार.. दोहा पर अनुग्रह मिला ..सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 22, 2014 at 9:14am

हार्दिक बधाई आपको इस रचना पर आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा सर ....

क्या खूब दोहा कहा है -

"पल बीता तो कल हुआ, कल बीता तो मास.
पल पल गुजरे साल के, हर पल कल की आस"

 

Comment by harivallabh sharma on December 22, 2014 at 2:57am

प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय Hari Prakash Dubey जी ..कृपया स्नेह बनाये रखें..सादर.

Comment by Hari Prakash Dubey on December 21, 2014 at 5:16pm
काल चक्र चलता रहे, निशि दिन आठों याम.
सूर्य चन्द्रमा चल रहे, रुकने का क्या काम.....हार्दिक बधाई आपको इस रचना पर आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
17 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service